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दक्षिण भारत से हिंदी साहित्य व भाषा के उत्थान के लिए निरंतर प्रकाशित हो रही इस पत्रिका के प्रयास पशंसा के योग्य हैं। सामान्य रूप से पत्रिका में हिंदी भाषा के विकास व उसके दक्षिण भारत में प्रचार प्रसार के लिए अच्छी सामग्री का प्रकाशन किया जाता है। अंक में हिंदी:कल आज और कल(राकेश कुमार), हिंदी कल से आज तक (बी. वै. ललिताम्बा), हिंदी का कल और प्रौद्योगिकी(शिवम शर्मा) जैसे लेख हिंदी के प्रति पत्रिका की चिंता को जाहिर करते हैं। टी.जी. प्रभाकर प्रेेमी, संतोष, क्रांति अययर, मुख्तार अहमद के साहित्यिक लेख पत्रिका के स्तर के अनुरूप हैं। कल्पेश पटेल व मैत्री सिंह ने भी अपने अपने आलेखों में समाज में गिरती मानवीयता पर विचार किया है। पी.सी. गुप्ता की कविताएं तथा डाॅ. मोहन तिवारी की ग़ज़ल उल्लेखनीय हैै। पत्रिका की अन्य रचनाएं भले ही उत्तर भारत की पत्रिकाओं के समान न हो पर उनका स्वर राष्ट्रीयता व देश प्रेम की भावना जाग्रत करता है।
जानकारी के लिए आपका धन्यवाद
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