श्री करूणाशंकर उपाध्याय का लेख कामना प्रतीकात्मक संभावनाओं का संधान। प्रसिद्ध कवि, नाटककार, कहानी कार श्री जयशंकर प्रसाद जी पर एकाग्र है। लेख में प्रसाद जी के माध्यम से नाट्यकला, कौशल तथा उसकी विविधता को शानदार ढंग से लिखा गया है। अच्छा लेख है।
महाजनों येन गतः सः पन्थः की लेखिका विनय षडंगी राजाराम है। लेख में आचार्य महावीर प्रसाद द्धिवेदी जी के माध्यम से विगत शताब्दी के आदर्शो तथा मर्यादाओं की चर्चा की गई है। पाठकों को लेख अवश्य पसंद आयेगा।
रामवृक्ष बेनीपुरी की कहानियों पर श्री नागेन्द्र कुमार शर्मा ने प्रकाश डाला है। यह बेनीपुरी जी की कहानियों का लेखा जोखा है। जिसमें उनकी अनेक कहानियों का आधार बनाया गया है।
आजतक पर्यावरण पर अनेक आलेख लिखे गये हैं। लेखिका सुश्री सविता मेनकुदले का आलेख उन सभी से हटकर है। इस लेख में जल पर्यावरण पर विचार किया गया है।
श्रीमती ममता खांडाल ने बाल साहित्य पर अपनी बात रखी है। उनका लेख भूमण्डलीकरण की नृत्यशाला में बाल साहित्य की प्रासंगिकता प्रभावित करता है।
श्रीकांश वर्मा आधुनिक समय के कवि हैं। लेकिन उनकी कविता में तब से लेकर अब तक का भारत बसता है। इन कविताओं पर श्री कुमार रितेश रंजन ने विचार किया है। लेख का शीर्षक है, समकालीन सत्ता की संस्कृति और श्रीकांत वर्मा काव्य। लेख शोधपरक है। हिंदी के नये पाठकों तथा शोधार्थियों के लिये उपयोगी है।
सुश्री संघमित्रा पृष्टि ने सुप्रसिद्ध उपन्यासकार प्रतीभा राय की रचनाओं पर विचार किया है। लेख प्रतिभा राय के उपन्यास नीलतृष्णा पर एकाग्र है। लेख का शीर्षक है, नीलतृष्णा एक नारी की करूण दास्तान।
अन्य लेखिका सरिता कुमार का लेख श्रीकृष्ण का अंर्तद्धंद: उपसंहार शीर्षक से लेख लिखा है। यह लेख श्री काशीनाथ सिंह जी के उपन्यास उपसंहार पर आधारित है।
स्त्री विमर्श श्रृंखला की कडियां लेख श्रीमती मीता शर्मा ने लिखा है। यह लेख छायावद की प्रमुख स्तंभ कवियत्री तथा हिंदी साहित्य की सम्मानीय महादेवी वर्मा के निबंध संग्रह श्रृंखला की कडियां पर एकाग्र है।
निबंध/ ललित निबंध
इस भाग में दो निबंध हैं। विवरण पढ़े -
श्री दुर्गाप्रसाद झाला जी का लेख निर्भय होना ही हिमालय होना है। अच्छा निबंध है। यह जीवन के प्रति नये सिरे से विचार है। जिसमें एक अच्छी सोच दिखाई पड़ती है।
श्रीमती सुमन चौरे का ललित निबंध बादल राग कहानी पढ़ने का आनंद देता है। यह इसे रेखाचित्र की शैली में लिखा गया हैं। अवश्य पढ़े।
संस्मरण
आजकल संस्मरण कम ही लिखे जा रहे हैं। कुछ लिखे गये संस्मरण लिखे कम, लिखवाये अधिक लगते हैं। लेकिन श्री विश्वनाथ सचदेव का संस्मरण यादों के गलियारे उन सभी से हटकर है। यह भारत विभाजन पर लिखा गया अलग ढंग का संस्मरण है। हिंदी के नये पाठकों को इससे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।
प्रवासी कलम से
इस भाग में सुश्री जाकिया जुबेरी जी का लेख है। लेख का शीर्षक है, जहर। उन्होंने मुख्य पात्र सीमा के माध्यम से अपनी बात रखी है। समां के नाम के साथ सीमा ने जहर शब्द क्यों लगाया? आप रचना पढ़कर ही जान पायेगें। यह रहस्य हम आप पर छोड़ते हैं।
कहानी
इस भाग में पत्रिका में तीन कहानियां प्रकाशित की गई है। आइये जानते हैं, क्या है इन कहानियां की विषयवस्तु-
सेनेटाइज कहानी को श्री जीवन सिंह ठाकुर ने लिखा है। यह कहानी कोरोना काल की कहानी है। इसमें लाॅकडाउन के समय की परिस्थितियां का विवरण है। यह एक कहानी-आलेख है। जिसमें पिछले वर्ष की लाॅकडाउन में लोगों की जीवनचर्या का कहानी के माध्यम से सामने लाया गया है।
श्री प्रवाीण कुमार सहगल की कहानी पिता के जाने के बाद एक अलग तरह की कहानी है। कहानी पिताजी के संघर्ष से आगे बढ़ती हुई बहुत कुछ कहती है। आज परिवार में पिताजी की जो भूमिका है, उससे यह कहानी कहीं अलग हटकर है। अच्छी कहानी है।
जामुन का पेड़ कहानी को श्री अभिषेक लाड़गे ने लिखा है। रचना वर्षा ऋतु में जामुन के पेड़ के आसपास घूमती है। यह कहानी संदेश देती है कि पेड़ों को फलने फूलने दिया जाना चाहिये। उन्हें काटने से पर्यावरण की हांनि होती है। पाठकों को कहानी पसंद आयेगी।
एक अन्य रचना श्री ब्रिजेश कुमार ने लिखी हैं यह संस्मरणात्मक कहानी है। इसका शीर्षक है, पर्वतों के झुरमुट से। कहानी देश के किसी पहाड़ी गांव का वर्णन करती है। वैसे सभी पहाड़ी गांव एकसमान होते हैं। कहानी पढ़ें।
लघुकथाएं
अक्षरा की लघुकथाएं लघु ना होकर बड़ें अर्थो वाली कहानियां हैं। लघुकथाओं का विवरण निम्नानुसार है-
अपने अपने दंश को नमिता सचान सुंदर ने लिखा है। कहानी किसी छोटे कसबे अथवा गांव की बदलती परिस्थितियों का विवरण है। सभी कुछ समय के साथ बदलता है। यह कहानी में बहुत अच्छी तरह से लिखने का प्रयास किया गया है।
ओमप्रकाश चैधरी की कहानी बेटी और उसकी हिम्मत एक मध्यम आकार की कहानी है। जिसमें किसी मध्यमवर्गीय परिवार की मर्यादाओं को कहानी के माध्यम से सामने लाने का प्रयास किया गया हैं
श्री अशोक कुमार की लघुकहानी मकडियां भी एक अच्छी रचना है।
कविताएं
पत्रिका के इस अंक में अच्छी कविताएं प्रकाशित की गई है। जिनमें प्रमुख है-
शंकाओं का संहार करे श्री दिनेश भारद्धाज
शहर का मानचित्र,
शहर ने एक नया आदमी पैदा किया श्री वी.एन. सिंह
मन, इच्छा श्री हरिमोहन
घनाक्षरी छंद तृप्ति मिश्रा
गीत/नवगीत/दोहे
इस भाग में श्री सतीश गुप्ता, अनूप अशेष तथा ऋषिवंश की कविताएं हैं। प्रत्येक गीत प्रभावित करता है। दोहे भी अच्छी तरह से सोच समझकर लिखे गये हैं।
बालपृष्ठ
इस भाग में दो बाल कहानियां प्रकाशित की गई है। जिन्हें क्रमश साधना श्रीवास्तव एवं हिम्मत जोशी ने लिखा है।
समय एवं विचार
इस उपशीर्षक के अंतर्गत ख्यात आलोचक, लेखक श्री रमेश दवे की रचना है। जिसमें बहुत कुछ नया है। आप अवश्य पढ़ें। पसंद आयेगा।
समीक्षाएं
पत्रिका अक्षरा में विभिन्न संग्रह की समीक्षा है। जिनमें कहानी, कविता एवं अन्य रचनाओं के संग्रह है। यह सभी समीक्षाएं उन पुस्तकों के संबंध में लेखक के विचार हैं। हिंदी साहित्य के पाठक को इससे नये हिंदी प्रकाशनों की जानकारी मिलती है। इन समीक्षाओं को क्रमशः श्री कौशल चंद गोस्वामी, केतकी, मैथिली साठे, सागर सयालकोटी, विनीता राहुरीकर, प्रभुदयाल मिश्र, घनश्याम मैथिल तथा उषा जायसवाल ने लिखा है।
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पत्रिका के अन्य स्थायी स्तंभ, रचनाएं एवं पाठकों के पत्र उपयोगी तथा पठनीय है।
अखिलेश शुक्ल
समीक्षक, ब्लागर, संपादक
कथा चक्र की समीक्षा विस्तृत और उपयोगी है
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