पत्रिका: अक्सर, अंक: जून 2011, स्वरूप: त्रैमासिक, संपादक: हेतु भारद्वाज, पृष्ठ: 144, मूल्य: 25रू (वार्षिक: 100 रू.), ई मेल: aksar.tramasik@gmail.com ,वेबसाईट: उपलब्ध नहीं , फोन/मोबाईल: 0141.2760160, सम्पर्क: ए-243, त्रिवेणी नगर, गोपालपुरा बाईपास, जयपुर 302018 राजस्थान
हिंदी साहित्यजगत में प्रतिष्ठित इस पत्रिका के प्रत्येक अंक मंे नवीनता होती है। इस अंक में भी सार्थक साहित्यिक रचनाओं का प्रकाशन किया गया है। अंक में ख्यात कवि मलय जी की छः कविताएं मन की गहराइयों में उतरकर बहुत कुछ सोचने के लिए प्रेरित करती है। जनोक्ति कवि केदारनाथ अग्रवाल पर रणजीत के आलेख व कवि नंदबाबू की कविताओं पर रामनिहाल गुंजन ने गहरे चिंतन के बाद उत्कृष्ठ लेखन किया है। लक्ष्मण व्यास, मोहम्मद अजहर, लक्ष्मी शर्मा, अरूण कुमार के समीक्षात्मक आलेख सामाजिक व वर्तमान परिवेश के प्रति सचेत रहने का आग्रह करते दिखाई देते हैं। रूपलाल बेदिया की कहानी ‘अपेक्षा’ की अच्छी शुरूआत के पश्चात लगता है कथाकार ने इसे पूर्ण करने में शीघ्रता की जिससे पाठक इसका रसास्वादन करने में बाधा उत्पन्न हुई है। ओम नागर व निशांत की कविताएं सामान्य से विशिष्ठ की ओर ले जाती है। नंद भारद्वाज, विवेक कुमार मिश्रा, सरसेम गुजराल के समीक्षाआलेख अच्छे बन पड़े हैं व प्रभावित करते हैं। साहित्यिक पुरस्कारों को लेकर ख्यात कवि लेखक गोविंद माथुर का आलेख गहन पड़ताल है जिसे अच्छे ढंग से प्रस्तुत किया गया है। दुर्गाप्रसाद अग्रवाल तथा वरूण कुमार तिवारी द्वारा लिखित पुस्तक समीक्षाएं इन संग्रहों/पुस्तक को पढ़ने के लिए प्रेरित करने में सफल रही है। पत्रिका की अन्य रचनाएं भी प्रभावित करती हैं। ख्यात प्रगतिवादी लेखक चिंतक स्व. कमला प्रसाद जी पर एकाग्र समीक्षालेख एक पठनीय रचना है।
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