पत्रिका: पंजाबी संस्कृति, अंक: मार्च 2011, स्वरूप: त्रैमासिक, संपादक: राम आहूजा, पृष्ठ: 64, मूल्य: 20रू (वार्षिक: 80 रू.), मेल: ram_ahuja@hotmail.com ,वेबसाईट: उपलब्ध नहीं, फोन/मोबाईल: 0124.4227455, सम्पर्क: एन 115, साऊथ सिटी 1, गुड़गांव 122001, हरियाणा
हरियाणा के औद्योगिक नगर गुड़गांव से हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार के लिए डाॅ. राम आहूजा के नेतृत्व में उनकी टीम के प्रयास प्रशंसनीय हैं। पत्रिका में हिंदी के साथ साथ सिरायकी खण्ड भी प्रकाशित किया जाता है। इस अंक में हिंदी की कुछ रचनाएं विशेष महत्व की हैं। उनमें रविकांत खरे तथा अजय कुमार झा के लेख समाज के विभिन्न मुददों को सामने लाते हैं। दिलीप भाटिया का लेख समय की उपयोगिता पर विचार करता है। दोनों कहानियों का स्वरूप साहित्यिक न होते हुए भी पाठक उनसे संवेदनात्मक अनुभव प्राप्त कर सकता है। इंदु बाली की कहानी ‘मानो या न मानों’ तथा कहानी ‘दिशाहारा’(सुरेन्द्र मंथन) में यह अनुभव महसूस किया जा सकता है। रामनिवास मानव, रमेश कुमार सोनी, देवी नागरानी को छोड़कर अन्य कवियों की कविताएं अपेक्षित प्रभाव नहीं डाल सकी हैं। पंकज शर्मा, सरला अग्रवाल, ओमप्रकाश बजाज की लघुकथाएं भी सामान्य ही हैं। दिनेश चंद्र दुबे का व्यंग्य ‘उनका स्टिंग आपरेशन’ प्रभावित करता है। यह व्यंग्य वर्तमान मीडिया जगत में चल रहे अनावश्यक स्टिंग आपरेशन की खबर लेता है। पत्रिका के अन्य स्तंभ, सिरायकी खण्ड तथा रचनाएं भी अपेक्षित स्तर की हैं। हिंदी साहित्य का हरियाणा तथा पंजाब में प्रचार प्रसार करने के लिए पत्रिका का प्रयास सराहनीय है।

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