पत्रिका: साक्षात्कार, अंक: मई 2011, स्वरूप: मासिक, संपादक: त्रिभुवननाथ शुक्ल, पृष्ठ: 122, मूल्य: 25रू (वार्षिक 200 रू.), ई मेल: sahityaacademy@gmail.com ,वेबसाईट: उपलब्ध नहीं, फोन/मोबाईल: 0755ण्2554782, सम्पर्क: साहित्य अकादमी म.प्र. संस्कृति परिषद, वाण गंगा, भोपाल म.प्र.
म.प्र. से प्रकाशित वर्षो पुरानी यह पत्रिका अब नियमित रूप से प्रकाशित हो रही है। अंक में ख्यात साहित्य मर्मज्ञ डॉ. प्रेम भारती से कमला प्रसाद चौरसिया की बातचीत विशिष्ठ है। सच्चे साहित्य को लेकर भारती जी का कहना है कि जो मूल्यों के क्षरण को रोके वही सच्चा साहित्य है। यह कथन वर्तमान संदर्भ में पूर्णतः सत्य है। अंक में प्रकाशित प्रमुख आलेखों में भाषा के विकास में जन और अभिजन की भूमिका(श्याम सुंदर घोष), मेरे स्त्री पात्रों का संसार(सूर्यबाला), सप्तसूत्रीय समीक्षा के सूत्रधारःडॉ. नंददुलारे वाजपेयी(योगेन्द्र नाथ शर्मा) एवं तेलुगु साहित्य पर अरविंद का प्रभाव(एस. शेषारत्नम्) के साथ साथ उदय प्रताप सिंह व डॉ. श्रीराम परिहार के आलेख संग्रह योग्य हैं। डॉ. नीरजा माधव, ओम प्रभाकर, कुंअर सिंह टण्डन एवं अंजनी शर्मा की कविताएं बाजारीकरण के विरूद्ध आम आदमी की झटपटाहट व्यक्त करती है। मृदुला सिन्हा की कहानी मुआवजा तथा मंगला जोशी की कहानी साधु और सरपंच में कथानक भले ही प्राचीन हो पर इन कहानियों में प्रस्तुतिकरण में नवीनता है। पत्रिका का संपादकीय शिक्षा विद्या और साहित्य विद्या अद्वितीय व सहेजकर रखने योग्य है। पत्रिका की अन्य रचनाएं, समीक्षाएं व पत्र आदि भी प्रभावित करते हैं। पत्रिका अंक दर अंक निखरती जा रही है यह साहित्य के पाठकों के लिए संतोष का विषय है।
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