पत्रिका: साक्षात्कार, अंक: फरवरी 2012,स्वरूप: मासिक, संपादक: त्रिभुवननाथ शुक्ल, पृष्ठ: 120, मूल्य: 25रू (वार्षिक: 250रू.), ई मेल: ,वेबसाईट: उपलब्ध नहीं, फोन/मोबाईल: 0755.2554782, सम्पर्क: म.प्र. संस्कृति परिषद, संस्कृति भवन, वाणगंगा, भोपाल
विविध साहित्य के मर्मज्ञ डाॅ. राष्ट्रबंधु से प्रीतिप्रवीण की बातचीत पत्रिका का प्रमुख आकर्षण है। अंक में प्रो. रमेश चंद्र शाह, डाॅ. रमानाथ त्रिपाठी, भुवनेश्वर उपाध्याय, गोपाल गुप्त के आलेख नवीनता लिए हुए हैं। अनवरे इस्लाम की रचना को छोड़कर इस बार की कविताएं विशेष प्रभावित नहीं कर सकी हैं। कहानियों में साधना सान्याल, मीनाक्षी स्वामी एवं नंदकिशोर कुशवाहा ने समकालीन समाज के साथ पूरी तरह से न्याय किया है। प्रभु श्रीवास्तव पीयूष ने संस्कृत के महान रचनाकार अमरूक के शतकों का सुंदर अनुवाद किया है, जिसमें रचना की मौलिकता कहीं से भी प्रभावित नहीं हुई है। नई कलम के अंतर्गत रश्मि गोयल रजनी की कविताएं आस्वस्त करती हैं कि भविष्य में उनका लेखन और भी निखरकर सामने आएगा। पत्रिका की समीक्षाएं, अन्य रचनाएं तथा समाचार आदि भी ध्यान देने योग्य है। पत्रिका का संपादकीय अपने आप में एक विशिष्ट रचना है जिसमें माधवराव सर्पे जी के सृजन को बड़ी शिद्दत के साथ याद किया गया है।
विशिष्ट पत्रिकाओं के संग्रहणीय अंकों की समीक्षा प्रतुत कर आप प्रणम्य कार्य कर रहे हैं. मेरी हार्दिक बधाई.
जवाब देंहटाएंअच्छी पठनीय पत्रिका
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