
पत्रिका के इस अंक में Ramshanker चंचल की कहानी अभागिन एक अच्छी व प्रभावशाली रचना है। देवेन्द्र कुमार मिश्रा की कहानी पागल पत्नी भी प्रभावित करती है। व्यंग्य बेचारे नेताजी (सुरेश प्रकाश शुक्ल) भी पठनीय व हास्यपरक है। सुभाष सोनी, सरोज व्यास, शशिकांत पशीने, सुभाष सोनी व अखिलेश निगम की ग़ज़लें समसामयिक हैं। रामचरण यादव, सुधा भार्गव व पूरन सिंह की लघुकथाएं अधिक प्रभावित नहीं कर सकीं है। पत्रिका की अन्य रचनाएं भी ठीक ठाक है।
पत्रिका के परिचय के लिए आभार
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