पत्रिका: नागफनी, अंक: अगस्त-अक्टूबर 2010, स्वरूप: त्रैमासिक, संपादक: सपना सोनकर, पृष्ठ: 60, मूल्य: 15 रू.(.वार्षिक 60रू.), ई मेल: , वेबसाईट/ब्लाॅग: उपलब्ध नहीं, फोन/मो. 0135.6457809, सम्पर्क: दून ब्ल्यु कार्टेज, मसूरी 248.179 उत्तराखण्ड
साहित्यिक पत्रिका नागफनी का यह प्रवेशांक है। किसी पत्रिका के प्रवेशांक में अमूमन जो कमियां होती हैं वही सब इसमें भी है। लेकिन यह उत्तराखण्ड से प्रकाशित हो रही है व संपादक तथा अन्य सहयोगियों का प्रवेशांक के रूप मेें पहला कदम है इसलिए इसकी कमियों पर विचार न कर खूबियों को ध्यान में लाना आवश्यक हो जात है। अंक में रूपनारायण सोनकर, सुधीर सागर, मूलचंद सोनकर, मुकेश मानस, बी.एल. सोनकर, आर.एल. वणकर एवं अनिता भारती के आलेखों को स्थान दिया गया है। ख्यात कथाकार प्रेमचंद के नाम के आगे मंुशी का इस्तेमाल अब नहीं किया जाता है, पत्रिका ने पता नहीं क्यों पुरातन परंपरा का उपयोग किया है। रूपनारायण सोनकर की कहानी में ऐसा क्या है? जिसकी वजह से वह प्रेमचंद की ख्यात कहानी कफन के आगे की कहानी है। ओमप्रकाश वाल्मिकी की आत्मकथा जूठन एक ऐसी रचना है जिसमें समाज के दलित व शोषित वर्ग की पीढ़ी व्यक्त की गई है। जूठन जैसी रचनाएं हिंदी साहित्य में गिनी चुनी ही हैं। मूलचंद सोनकर, रजनी अनुरागी, रूपनारायण सोनकर व ओम प्रकाश वाल्मिकी की कविताएं प्रभावित करती हंैं। पत्रिका की अन्य रचनाएं अभी प्रारंभिक अवस्था में है। फिर भी साहित्य जगत में एक और पत्रिका का आगमन हुआ है यह आश की जाना चाहिए कि भविष्य में नागफनी में अच्छी रचनाएं पढ़ने में आएंगी। पत्रिका की अनुक्रमणिका व विवरण के फोंट साइज में वृद्धि की जाना चाहिए। कलेवर तथा साज सज्जा के लिहाज से अभी काफी कुछ किया जाना शेष है।
बहुत सुंदर रचना, आप सब को नवरात्रो की शुभकामनायें,
ردحذفबहुत अच्छी प्रस्तुति।
ردحذفनवरात्र के पावन अवसर पर आपको और आपके परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं
إرسال تعليق