पत्रिका: व्यंग्य यात्रा, अंक: अपै्रल-सितम्बर2010, स्वरूप: त्रैमासिक, संपादक: प्रेम जनमेजय, पृष्ठ: 120, मूल्य: 20 रू.(.वार्षिक 100रू.पांच अंक), ई मेल: vyangya@yahoo.com , वेबसाईट/ब्लाॅग: उपलब्ध नहीं, फोन/मो. 011.25264227, सम्पर्क: 73, साक्षर अपार्टमेंट्स, ए-3, पश्चिम विहार, नई दिल्ली 110.063
व्यंग्य साहित्य की प्रधान पत्रिका व्यंग्य यात्रा का यह अंक पंजाबी व्यंग्य साहित्य एवं ख्यात व्यंग्यकार शंकर पुणतांबेकर पर एकाग्र है। अंक में पंजाबी व्यंग्य पर संग्रह योग्य सामग्री का प्रकाशन किया गया है। इसके अंतर्गत के.एल. गर्ग, मंगल कुलजित, कन्हैया लाल कपूर, प्यारा सिंह दाता, गुरदेव चैहान, बलदेव सिंह व भगवान दास कहार के आलेख पंजाबी में लिखे गए व्यंग्य साहित्य व उसकी उपयोगिता पर विस्तार से प्रकाश डालते हैं। शंकर पुणतांबेकर जी पर पत्रिका के संपादक प्रेम जनमेजय, सुधीर ओखवे, हरीश नवल, ओमप्रकाश शर्मा के लेख व पुणतांबेकर जी की व्यंग्य रचनाएं आज भी उतनी ही उपयोगी व समसामयिक हैं जितनी पूर्व में थीं। ख्यात व्यंग्यकार स्व. श्री जब्बार ढाकवाला को याद करते हुए ज्ञान चतुर्वेदी, लालित्य ललित व विनोद साब के लेख अच्छे हैं। अन्य व्यंग्यों में हरिपाल त्यागी, अनिल जोशी, मनोज श्रीवास्तव, ओम प्रकाश सारस्वत, गजेन्द्र तिवारी , अरविंद मिश्र, पिलकेन्द्र अरोड़ा व सुभाष राय में काफी अधिक गहराई व समाज के लिए कुछ न कुछ सकारात्मक संदेश है। शेष अन्य रचनाएं लगता है पत्रिका के पृष्ठ भरने के लिए प्रकाशित कर दी गई है। व्यंग्य विधा पर श्री शंकर पुणतांबेकर से तेजपाल चैधरी की बातचीत पत्रिका की सर्वश्रेष्ठ रचना कही जा सकती है जिसके माध्यम से पाठक को इस विधा पर उपयोगी जानकारी मिलती है। पत्रिक की अन्य रचनाएं, समीक्षाएं भी अच्छी हैं। पत्रिका लगातार संयुक्त अंक के रूप में प्रकाशित हो रही है। इस महत्वपूर्ण पत्रिका को नियमित रूप से संपादक को प्रकाशित करना चाहिए भले ही इसके पृष्ठ कम ही हों।
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