पत्रिका: अरावली उद्घोष, अंक: 86, स्वरूप: त्रैमासिक, संपादक: बी.पी. वर्मा ‘पथिक’, पृष्ठ: 80, मूल्य:20रू.(वार्षिक 80रू.), ई मेल: उपलब्ध नहीं, वेबसाईट/ब्लाॅग: उपलब्ध नहीं, फोन/मो. 0294.2431742, सम्पर्क: 448, टीचर्स कालोनी, अम्बा माता स्कीम, उदयपुर 313004(राजस्थान)
देश के आदिवासियों के उत्थान के लिए समर्पित पत्रिका अरावली उद्घोष के इस अंक में समाज के लिए प्रेरक व मार्गदर्शक आलेखों का प्रकाशन किया गया है। बहुजन डायवर्सिटी पर सुरेश पंडित, बुद्धशरण हंस एवं डाॅ. कुसुम मेघवाल के आलेख इस विषय की अद्यतन व ध्यान देने योग्य प्रस्तुति है। भागीरथ, रामपुनियानी एवं डाॅ. वीरेन्द्र सिंह यादव ने अपने विषय पर साधिकार लिखा है। पत्रिका की सवार्धिक उल्लेखनीय रचना ख्यात लेखक व संपादक हरिराम मीणा का आदिवासी विर्मश आलेख है। इस लेख में उन्होंने आदिवासी संस्कृति के संरक्षण में आ रही चुनौतियों का सार्थक विश्लेषण किया है। स्वामी वाहिद काज़मी का आलेख अंधेरे में आदिवासी अच्छी व पठनीय रचना है। महिला आरक्षण पर राममूर्ति यादव आलेख नए ढंग से विचार करता है। भावसिंह हिरवानी, असफाक कादरी, चरणसिंह पथिक एवं प्रभात जी की कहानियां आदिवासी उत्थान के साथ साथ उन्हें देश की मुख्य धारा में लाने का प्रयास करती दिखाई देती है। पत्रिका की अन्य रचनाएं, समीक्षाएं व आलेख भी पत्रिका की उपयोगिता सिद्ध करते हैं। पत्रिका के अतिथि संपादक भागीरथ एवं संपादक पथिक वर्मा के लेख संपादकीय के साथ साथ सामाजिक चिंतन का स्वर लिए हुए हैं। अच्छे अंक के लिए बधाई।
इस अंक की जानकरी के लिये आपका धन्यवाद
जवाब देंहटाएंअखिलेश भाई मै आपके इस ब्लाग का फीड सब्सक्राईबर हूं मैंने पिछले दिनो यहां कमेंट करके आपको बतलाया था कि इस ब्लाग का फीड जो मुझे प्राप्त हो रहा है उसके फोंट का आकार बहुत ही छोटा है उसे सामान्य आंख से पढना संभव ही नहीं है ऐसे में हमें विवश होकर पोस्ट पढने के लिए आपके इस ब्लॉग में आना पडता है.
जवाब देंहटाएंयदि आप "समीक्षाएं आपके ईमेल पते पर प्राप्त करें....." जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं तो आपका दायित्व बनता है कि अपने पाठकों की बातों पर भी ध्यान दें.
जानकरी के लिये धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंइस संबंध में जानकारी यहां है http://aarambha.blogspot.com/2010/04/blog-post_13.html
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