पत्रिका: उत्तरा, अंक: अक्टूबर-दिसम्बर.09, स्वरूप: त्रैमासिक, संपादक: उमा भट्ट, शीला रजवार, कमला पंत, वसंती पाठक, पृष्ठ: 48, मूल्य:20रू.(वार्षिक 80रू.), ई मेल: uttara12@gmail.com , वेबसाईट/ब्लाॅग: उपलब्ध नहीं, फोन/मो. 236191, सम्पर्क: परिक्रमा तल्ला डांडा, तल्ली ताल, नैनीताल 263.002
महिलाओं के उत्थान के लिए समर्पित पत्रिका उत्तरा के इस अंक में महिलाओं की समस्याओं पर विचार किया गया है। यह विचारधारा के रूप में पत्रिकाओं की रचनाओं से झलकता है। अंक में मीरा कुमार के बहाने(राम शिव मूर्ति यादव), क्रांतिकारी महिलाःदुर्गाभाभी(आकांक्षा यादव), शिक्षिका की व्यथा(प्रमिला नौटियाल), निर्मला दीदी(श्रद्धांजलि-राधा भट्ट) रचनाएं पढने योग्य हैं। शशिप्रभा रावत, की लघुकथा एवं शशि शर्मा प्रभा की कहानी भी पत्रिका को स्वर प्रदान करती है। बसन्ती बिष्ट से बातचीत एवं घूमर नाचंु हूं कमल कुमार का राजस्थान की पृष्ट भूमि पर लिखा गया उपन्यास निश्चय ही श्रेष्ठ रचना होगी। पत्रिका की अन्य रचनाएं भी प्रभावशाली व महिलाओं की समस्याओं को प्रकाश में लाने वाली हैं।
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महिलाओं के उत्थान के लिए समर्पित पत्रिका उत्तरा के इस अंक में महिलाओं की समस्याओं पर विचार किया गया है। यह विचारधारा के रूप में पत्रिकाओं की रचनाओं से झलकता है। अंक में मीरा कुमार के बहाने(राम शिव मूर्ति यादव), क्रांतिकारी महिलाःदुर्गाभाभी(आकांक्षा यादव), शिक्षिका की व्यथा(प्रमिला नौटियाल), निर्मला दीदी(श्रद्धांजलि-राधा भट्ट) रचनाएं पढने योग्य हैं। शशिप्रभा रावत, की लघुकथा एवं शशि शर्मा प्रभा की कहानी भी पत्रिका को स्वर प्रदान करती है। बसन्ती बिष्ट से बातचीत एवं घूमर नाचंु हूं कमल कुमार का राजस्थान की पृष्ट भूमि पर लिखा गया उपन्यास निश्चय ही श्रेष्ठ रचना होगी। पत्रिका की अन्य रचनाएं भी प्रभावशाली व महिलाओं की समस्याओं को प्रकाश में लाने वाली हैं।
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अखिलेश भाई मै आपके इस ब्लाग का फीड सब्सक्राईबर हूं मैंने पिछले दिनो यहां कमेंट करके आपको बतलाया था कि इस ब्लाग कर फीड जो मुझे प्राप्त हो रहा है उसके फोंट का आकार बहुत ही छोटा है उसे सामान्य आंख से पढना संभव ही नहीं है ऐसे में हमें विवश होकर पोस्ट पढने के लिए आपके इस ब्लॉग में आना पडता है.
जवाब देंहटाएंयदि आप समीक्षाएं आपके ईमेल पते पर प्राप्त करें..... जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं तो आपका दायित्व बनता है कि अपने पाठकों की बातों पर भी ध्यान दें.
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