पत्रिका-आसपास, अंक-फरवरी10, स्वरूप-मासिक, संपादक-राजुरकर राज, पृष्ठ-32, मूल्य-5रू.(वार्षिक 60रू.), फोन-(0755)2772051,
ई मेलः shabdashilpi@yahoo.com , सम्पर्क-एच.03, उद्धवदास मेहता परिसर, नेहरू नगर भोपाल म.प्र.
साहित्यकारों के मध्य संवाद स्थापित करने के उद्देश्य से प्रारंभ की गई पत्रिका आसपास अब खासी लोकप्रियता हासिल कर चुकी है। पत्रिका का हर अंक नई नई जानकारी लेकर आता है। समीक्षित अंक में दुष्यंत कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय के दो दिवसीय स्थापना पर्व का समाचार प्रमुख रूप से प्रकाशित किया गया है। सम्मान/पुरस्कार स्तंभ के अंतर्गत विकल जी का अमृत महोत्सव, विक्रम कालीदास पुरस्कार, करवट का सम्मान समारोह, शताब्दी वर्ष पुरस्कार, काका हाथरसी पुरस्कार, कादम्बरी व पाथेय सम्मान, शमशेर सम्मान, व्यंग्य लेखन प्रतियोगिता आदि विस्तृत रूप से प्रकाशित किए गए हैं। प्रख्यात सिने गीताकार विट्ठल भाई पटेल का अमृत महोत्सव मनाने का संग्रहालय ने निर्णय लिया है। इस समाचार को पत्रिका ने विशेष तौर पर प्रकाशित किया है। ख्यात गीतकार डाॅ. बुद्धिनाथ मिश्र एवं श्री अभिलाष जी केे अभिनंदन समारोह पढ़कर अधिक खुशी हुई। क्योंकि वर्तमान मंे गीतकारों का कोई खैरख्वाह नहीं है। अन्य साहित्यिक विधाएं कहानी, कविता, संस्मरण, रेखाचित्र, जीवनी को महत्व दिए जाने के कारण गीत अत्यंत लोकप्रिय होते हुए भी साहित्य की मुख्य धारा से कटते जा रहे हैं। पत्रिका में प्रकाशन लोकापर्ण, श्रद्धांजलि रचनाकारों के मध्य संवाद स्थापित करने में सहायक हैं।
साहित्यकारों के मध्य संवाद स्थापित करने के उद्देश्य से प्रारंभ की गई पत्रिका आसपास अब खासी लोकप्रियता हासिल कर चुकी है। पत्रिका का हर अंक नई नई जानकारी लेकर आता है। समीक्षित अंक में दुष्यंत कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय के दो दिवसीय स्थापना पर्व का समाचार प्रमुख रूप से प्रकाशित किया गया है। सम्मान/पुरस्कार स्तंभ के अंतर्गत विकल जी का अमृत महोत्सव, विक्रम कालीदास पुरस्कार, करवट का सम्मान समारोह, शताब्दी वर्ष पुरस्कार, काका हाथरसी पुरस्कार, कादम्बरी व पाथेय सम्मान, शमशेर सम्मान, व्यंग्य लेखन प्रतियोगिता आदि विस्तृत रूप से प्रकाशित किए गए हैं। प्रख्यात सिने गीताकार विट्ठल भाई पटेल का अमृत महोत्सव मनाने का संग्रहालय ने निर्णय लिया है। इस समाचार को पत्रिका ने विशेष तौर पर प्रकाशित किया है। ख्यात गीतकार डाॅ. बुद्धिनाथ मिश्र एवं श्री अभिलाष जी केे अभिनंदन समारोह पढ़कर अधिक खुशी हुई। क्योंकि वर्तमान मंे गीतकारों का कोई खैरख्वाह नहीं है। अन्य साहित्यिक विधाएं कहानी, कविता, संस्मरण, रेखाचित्र, जीवनी को महत्व दिए जाने के कारण गीत अत्यंत लोकप्रिय होते हुए भी साहित्य की मुख्य धारा से कटते जा रहे हैं। पत्रिका में प्रकाशन लोकापर्ण, श्रद्धांजलि रचनाकारों के मध्य संवाद स्थापित करने में सहायक हैं।
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