
गाॅधी साहित्य पर एकाग्र यह पत्रिका हिंदी व उर्दू जबानों में एकसाथ प्रकाशित की जाती है। पत्रिका के समीक्षित अंक में सुभाष संपत, गणेश गुप्त, सुरेन्द्र वर्मा, अनंतकीर्ति तिवारी, सत्यापाल श्रीवत्स एवं डाॅ. परशुराम शुक्ल के आलेख प्रमुखता से प्रकाशित किए गए हैं। शब्दों की रोचक यात्रा आलेख श्री स्वयंप्रकाश जी का लिख हुआ है जो प्रत्येक पाठक के लिए उपयोगी व संग्रह योग्य है। नरसिंह प्रसाद दुबे का भाषा एवं साहित्य पर लिखा गया आलेख भी एक नए ढंग से विषय की व्याख्या करने में पूरी तरह सक्षम है। पत्रिका के एक और अच्छे अंक के लिए बधाई।
"""साक्षा संस्कृति द्विभाषी पत्रिका-- हिंदुस्तानी जबान."""
जवाब देंहटाएंइतना अच्छा विवरण और सूचना के लिए आभार.
- विजय तिवारी ' किसलय '
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