
महात्मा गाॅधी मेमोरियल रिसर्च सेन्टर द्वारा प्रकाशित इस पत्रिका का प्रथम आलेख ‘अक्षर से अर्थ तक की यात्रा’ डाॅ. खेमसिंह डहेरिया ने लिखा है। लेखक ने ख्यात कथाकार-उपन्यासकार अमृता प्रीतम जी के रचनाकर्म को लेखन का आधार बनाया है। अमृता जी के साहित्य में मानव जीवन तथा समाज के उन प्रश्नों के उत्तर निहित हैं जिनपर अभी तक पाठकों का ध्यान नहीं गया है। डाॅ. रमा सिंह ने अब्दुर्रहीम खानखाना के जीवन परिवेश तथा साहित्यिक उपलब्धियों पर सुंदर ढंग से प्रकाश डाला है। नए कवियों की सांस्कृतिकता आलेख में डाॅ. घनश्याम सिंह को और भी अधिक विस्तारपूर्वक विश्लेषण करना चाहिए था। डाॅ. वीरेन्द्र सिंह यादव ने पर्यावरण और इसके प्रदूषण के विविध आयाम’ निबंध में पर्यावरण की व्याख्या करते हुए उसके आयामों को विश्लेषणात्मक ढंग से व्यक्त किया है। डाॅ. अशोक वातुलकर, के.जी. बालकृष्ण पिल्ले ने गाॅधीवादी विचारधारा की वर्तमान संदर्भ में उपयोगिता पर नए तरीके से विचार किया है। डाॅ. अमर सिंह वधान ने मुम्बई के 26.11 को हुए आतंकवादी हमले को इतिहास के चश्मे से देखने का अच्छा प्रयास किया है। पत्रिका के अन्य अंकों के समान यह भी एक अच्छी प्रस्तुति है।
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