वर्ष 1979 से निरंतर प्रकाशित कथाप्रधान पत्रिका कथाबिंब का यह संयुक्तांक है। यह पत्रिका का जनवरी-जून 2021 अंक है। पत्रिका का कलेवर पहले जैसा ही है। कथाबिंब में कहानियों की प्रधानता रहती है।
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मित्रों, आइये जानते हैं इस अंक में प्रकाशित रचनाओं के संबंध में -
कुछ कही कुछ अनकही (संपादकीय)
यह पत्रिका का संपादकीय है। जिसमें कोरोनाकाल का उल्लेख किया गया हैं। यह सच भी है कि आज विश्व में कोई देश इस बीमारी से अछूता नहीं है। संपादक ने पत्रिका संपादकीय में कहानियों के मूल भाव पर भी विचार किया है। संपादकीय आलेख में देश में महामारी से लोगों के संघर्ष के साथ साथ टीकाकरण पर भी विचार किया गया हे।
कहानियां
पत्रिका के समीक्षित अंक में कुल मिलाकर 12 कहानियां प्रकाशित की गई है। यद्यपि संपादक श्री सक्सेना जी ने इन कहानियों पर अपनी बात रखी है।
लेकिन हम इनके कथ्य तथा मूलभाव को फिर से आपके सामने रख रहे हैं --
कहानी अंतरिक्ष में कहानीकार डॉ. रमाकांत शर्मा जी द्वारा लिखी गई है। यह कहानी हमें अपने अतीत की ओर ले जाती है। वह समय जब दुनियां ही कुछ और थी। उस दुनियां से निकलकर नौकरी मिलना और आनंद की प्राप्ति होना सकून देता है।
इसी तरह डॉ. मनोज मोक्षेंन्द्र गुड बॉय, मैं खुश हूं अमरीकी परिवेश तथा वहां के वातावरण से पाठक को निकालती हुई आगे बढ़ती है। किसे भला अपने देश में अच्छा नहीं लगेगा? दुष्यंत के बुजुर्ग माता पिता उसे विदा करते हैं। उसके बाद भी दुष्यंत खुश हैं, यह समय की जरूरत है। होना भी चाहिये। सामान्य मध्यमवर्गीय परिवार की यह कहानी प्रभावित करती है।
थैंक यू दोस्त कहानी को श्रीमती शुभ्रा ओझा ने लिखा है। अमरीका प्रवास में कहानी का पात्र अपने आप को असहज पाता है। लेकिन वह फिर भी वहां जाता है। रहता है जीवन यापन करता है। जिसे तरह से लोग विदेश में अकेले रहने की वजह ढूढ़ लेते हैं वैसे ही हर जगह होना चाहिये। अच्छी कहानी है।
सलीब पर सपनें कहानी को श्रीमती नीरजा हेमेंद्र ने लिखा है। सपनें तो सपने ही होते हैं, संदीप भैया के विवाह के सपने प्रायः सभी देखते हैं। बाबूजी चिंता करते हैं, लेकिन उससे होता क्या है? संदीप ही नहीं, गांव का प्रत्येक युव शहर जाकर कुछ करना चाहता है। लेकिन सभी के हिस्से में वहां सुख नहीं है। कहानी प्रभावित करती है। पठनीय है।
कथाकार शुभदा मिश्र की कहानी पन्ने की अंगूठी कोचिंग क्लास चलाने वाली युवती की कहानी है। वह अपने खुशहाल भविष्य के सपनें देखती है। उसकी कोचिंग क्लास में सामान्य परिवार का युवक आता है। वैसे तो अनेक युवा पढ़ने आते हैं, लेकिन इसके प्रति मैडम कुछ अधिक ही आकर्षित होती है। जीवन के विभिन्न आयामों से होती हुई कहानी आगे बढ़ती है। अच्छी कहानी है। यह अवश्य है कि संवाद कुछ अधिक लम्बे हो गये हैं।
श्री सतीश सिंह कहानी पिताजी में कुछ नया करते दिखाई पड़ते हैं। वैसे पिताजी पर अनेक stories
लिखी गई है। श्री ज्ञानरंजन जी एवं उदयप्रकाश जी ने पिता के चरित्र को अलग तरह से पेश किया है।
इस कहानी में पिताजी पूरे परिवार के मुखिया हैं लेकिन उन्होंने किसी के निर्णय लेने मंें बाधा उत्पन्न नहीं की है। कहानी का अंत प्रभावित करता है।
श्री प्रकाश कांत की कहानी अपने अपने विदेह पुराने विषय पर नया दृष्टिकोण है। एक नई सोच के साथ कहानी प्रवाहित होती है। पिता पुत्र के मध्य असंवाद की स्थिति कैसी और किस तरह प्रभावित करती है। यह कहानी पढ़कर स्वतः ज्ञात हो जायेगा।
श्रीमती नीतू मुकुल की कहानी मुफलिसी पर रहमत विश्वविद्यालयों में होने वाले धरने प्रदर्शन को लेकर लिखी गई है। जिसमें कहानी के पात्र भाग लेते हैं। अच्छी समसामयिक कहानी है।
श्रीमती शिवानी शर्मा की कहानी पासें अपने हाथ में दांव ना अपने हाथ चुनाव में परिवार के सदस्यों से जुड़ी है। जिसमें कहानी का पात्र चुनाव नहीं लड़ना चाहता है, लेकिन परिवार के सदस्य जबरन उसे चुुनावा लड़ाना चाहते हैं। विभिन्न लेकिन परंतु से गुजरती हुई कहानी अच्छी रचना है।
इसी तरह से कहानी मोह के धागे, श्रीमती वीणा विज उदित विदेश में गये मुख्य पात्र की तसवीर देखकर स्मृति संजोते परिवार की कहानी है।
श्री योगेन्द्र शर्मा की कहानी वो फिर आयेगें सन 1984 से शुरू होती है। जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुई घटनाओं के बाद का ब्यौरा है। कहानी में सुखद परिवर्तन की कामना की गई है।
कहानी काली लड़की को नवोदित कथाकर काव्य कटारे ने लिखा है। यह कथाकार की प्रथम रचना होते हुये भी प्रभावित करती है।
लघुकथायें
पत्रिका में 6 लघुकथाएं प्रकाशित की गई है। जिसका विवरण निम्नानुसार है-
स्ट्रीट सिंगर श्री कृष्ण चंद महोबिया
समाज सेवा श्री कमलेश भारतीय
फर्क श्री राममूरत राही
माद्दा श्रीमती नीना सिन्हा
विरासत श्री शुभम वैण्णव
कोरोना श्री पारस कुंज
लघुकथा स्ट्रीट सिंगर गुजरात के रहने वाले बंशी बणा के आसपास रची गई है। समाजसेवा लघुकथा में समाज सेवा के नाम पर अनधिकृत रूप से ली जाने वाली धनराशि से जुडी है। कहानी फर्क परिवार के लोगों में फर्क स्पष्ट करती है। माद्दा में परिवार की आर्थिक तंगी की विवशता को दर्शाया गया है। विरासत लघुकथा आज के राजनीतिक परिवारों में विरासत को स्पष्ट करती है। कोरोना लघुकथा समसामयिक रचना है।
कविताएं/गीत/गजलें
बेरोजगार लड़के श्री अशोक कुमार
कुर्सियां श्री राजेन्द्र निशेश
कविताएं श्रीमती रिचा सिन्हा
कविता श्री हौसला अन्वेशी
गीत श्री सतपाल स्नेही
ग़जल श्री ईश्वर सिंह बिष्ट इशोर
गजल श्री सतपाल स्नेही
बहुत शुक्रिया अखिलेश जी। आपने कहानी को पढ़ा और पसंद किया ये मेरे लिए बहुत हर्ष का विषय है। इस तरह की टिप्पणी से उत्साहित हूँ।
ردحذفबहुत बहुत धन्यवाद
जी, आपका आभार। इस समीक्षा ब्लॉग को परिचितों, मित्रों को अवश्य शेयर करें।
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