पत्रिका-व्यंग्य यात्रा, अंक-दिसम्बर2012, स्वरूप-त्रैमासिक, संपादक-प्रेम जनमेजय, पृष्ठ-96, रेखांकनग्राफिक्सआवरण -विपिन कुमार, मूल्य- 20 रू.(वार्षिक 80 रू.) , वेवसाइट -जानकारी उपलब्ध नहीं, फोन : 011.25264227, र्इमेल- , संपर्क : 73, साक्षर अपार्टमेंट, ए-3, पशिचम विहार, नर्इ दिल्ली 110063
विगत सात वर्ष से निरंतर प्रकाशित व्यंग्य साहित्य की इस पत्रिका ने अनेक संग्रह योग्य विशेषांक प्रकाशित किए हैं। समीक्षित अंक में ख्यात कवि चंद्रकांत देवताले से ओम भारती की चर्चा साहित्य जगत की वर्तमान गतिविधियाें पर गंभीर विमर्श है। अमृतराय, हरिशंकर परसार्इ, नरेन्द्र कोहली, सूरज प्रकाश की कालजयी रचनाएं पत्रिका ने आकर्षक ढंग से पाठकों के लिए पुन: प्रकाशित की है। दिलीप तेतरवे, पे्रमजनमेजय, ज्ञान चतुर्वेदी, प्रदीप पंत, अरविंद तिवारी एवं हरिजोशी के उपन्यास अंश इन Ñत्तियों के गहन अध्ययन के लिए प्रेरित करते हैं। प्रकाशित व्यंग्य रचनाओं में सुरेन्द्र वर्मा, शरद तेलंग, सुधा आचार्य, सतीश भाटिया, लालित्य ललित, एवं गोविंद शर्मा की रचनाओं का व्यंग्य वर्तमान सामाजिक परिसिथतियों, परिवर्तन तथा उठापटक का अच्छा विश्लेषण प्रस्तुत करता है। रामदरश मिश्र, नरेन्द्र मोहन, घनश्याम अग्रवाल, राम मेश्राम एवं कुवंर स्वरूप की कविताओं में व्यंग्य इन कविताओं की विषय वस्तु को ध्यान में रखने पर सहज ही प्रगट हो जाता है। अन्य कविताओं में व्यंग्य क्षणिक रूप से ही सही पर अपनी उपसिथति अवश्य ही दर्ज कराता है। व्यंग्य में संवेदना को लेकर बहुत दिनों के पश्चात कोर्इ आलेख पढ़ने में आया है। रमेश चंद्र खरे ने अथक परिश्रम से इसे तैयार किया है। श्यामसुंदर घोष एवं देवमणि पाण्डेय लेख भी विशेष रूप से प्रभावित करते हैं। पत्रिका की अन्य रचनाएं, समीक्षाएं व समाचार आदि भी स्तरीय व जानकारीपरक हैं। व्यंग्य यात्रा के एक और अच्छे अंक के लिए संपादक तथा उनकी टीम बधा
इ की पात्र है। विगत सात वर्ष से निरंतर प्रकाशित व्यंग्य साहित्य की इस पत्रिका ने अनेक संग्रह योग्य विशेषांक प्रकाशित किए हैं। समीक्षित अंक में ख्यात कवि चंद्रकांत देवताले से ओम भारती की चर्चा साहित्य जगत की वर्तमान गतिविधियाें पर गंभीर विमर्श है। अमृतराय, हरिशंकर परसार्इ, नरेन्द्र कोहली, सूरज प्रकाश की कालजयी रचनाएं पत्रिका ने आकर्षक ढंग से पाठकों के लिए पुन: प्रकाशित की है। दिलीप तेतरवे, पे्रमजनमेजय, ज्ञान चतुर्वेदी, प्रदीप पंत, अरविंद तिवारी एवं हरिजोशी के उपन्यास अंश इन Ñत्तियों के गहन अध्ययन के लिए प्रेरित करते हैं। प्रकाशित व्यंग्य रचनाओं में सुरेन्द्र वर्मा, शरद तेलंग, सुधा आचार्य, सतीश भाटिया, लालित्य ललित, एवं गोविंद शर्मा की रचनाओं का व्यंग्य वर्तमान सामाजिक परिसिथतियों, परिवर्तन तथा उठापटक का अच्छा विश्लेषण प्रस्तुत करता है। रामदरश मिश्र, नरेन्द्र मोहन, घनश्याम अग्रवाल, राम मेश्राम एवं कुवंर स्वरूप की कविताओं में व्यंग्य इन कविताओं की विषय वस्तु को ध्यान में रखने पर सहज ही प्रगट हो जाता है। अन्य कविताओं में व्यंग्य क्षणिक रूप से ही सही पर अपनी उपसिथति अवश्य ही दर्ज कराता है। व्यंग्य में संवेदना को लेकर बहुत दिनों के पश्चात कोर्इ आलेख पढ़ने में आया है। रमेश चंद्र खरे ने अथक परिश्रम से इसे तैयार किया है। श्यामसुंदर घोष एवं देवमणि पाण्डेय लेख भी विशेष रूप से प्रभावित करते हैं। पत्रिका की अन्य रचनाएं, समीक्षाएं व समाचार आदि भी स्तरीय व जानकारीपरक हैं। व्यंग्य यात्रा के एक और अच्छे अंक के लिए संपादक तथा उनकी टीम बधा
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