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पत्रिका का समीक्षित अंक ख्यात साहित्यकार द्वय श्री समिर दोष व श्री राजेन्द्र परदेसी जी पर एकाग्र है। साहित्यजगत में इन दोनों साहित्यकारों के योगदान पर पत्रिका में विश्लेषणात्मक ढंग से विचार किया गया है। अंक में प्रकाशित आलेखों में ओमप्रकाश कादयान, शैली बलजीत के लेख परदेसी जी के साहित्यिक योगदान की विस्तार से समीक्षा है। परदेसी जी का सोहनलाल द्विवेदी जी पर लिखा गया आलेख पत्रिका की मूल भावना व्यक्त करता है। श्रीरामदवे, पुरूषोत्म लाल दुबे, के. एल. दीवान, दीपंकर नियोगी, वेदप्रकाश कुशवाहा, की रचनाएं प्रभावित करती है। सिमर दोष की लघुकथाएं कविताएं व अन्य रचनाएं आज के समाज को दिशा देती दिखाई
पड़ती है। पंकस अकादमी पर उनका आलेख इस संस्था की साहित्यिक गतिविधियों पर संक्षेप में प्रकाश डालता है। परदेसी जी की कविताएं, आलेख, लघुकथाएं कहानियां आदि स्तरीय व संग्रह योग्य है। अंक में श्री प्रतापसिंह सोढ़ी जी द्वारा लिखे गए संपादकीय भी साहित्य की वर्तमान दशा व उसके भविष्य पर विचार करते दिखाई पड़त हैं।
पंडित नरेन्द्र शर्मा ' सम्पूर्ण रचनावली ' तैयार है। कृपया अधिक जानकारी के लिए देखें :
जवाब देंहटाएंपरितोष नरेंद्र शर्मा
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