पत्रिका: विश्व हिंदी पत्रिका, अंक: जनवरी 2011, स्वरूप: वार्षिक, प्रधान संपादक: श्रीमती पूनम जुनेजा, संपादक: गंगाधर सिंह सुखलाल, पृष्ठ: 152, रेखा चित्र/छायांकन: जानकारी उपलब्ध नहीं, मूल्य: प्रकाशित नहीं, ई मेल: whsmauritius@gmail.com, whsmauritius@intnet.mu, वेबसाईट: उपलब्ध नहीं, फोन/मो. 00.230.6761196, सम्पर्क: विश्व हिंदी साचिवालय, स्वीफ्ट लेन, फारेस्ट साइट, मारीशस
समूचे विश्व में हिंदी साहित्य व भाषा के क्षेत्र में मारिशस में प्रशंसनीय कार्य किया जा रहा हैं विश्व हिंदी सचिवालय द्वारा हिंदी के विकास व उत्थान में किए जा रहे प्रयास प्रत्येक हिंदीभाषी के लिए प्रेरणास्पद कहंे जा सकते हैं। इसी कड़ी में सचिवालय द्वारा प्रति वर्ष वार्षिकी का प्रकाशन किया जाता है। इस वर्ष भी इसे विशेषांक के रूप में प्रकाशित किया गया है। पत्रिका के समीक्षित अंक में विद्वानों के आलेख मार्गदर्शक ही नहीं संग्रह योग्य भी हैं। अंक मंे प्रकाशित आलेखों में हिंदी के प्रति हिंदीभाषियों के कर्तव्य(फादर कामिल बुल्के), अमरीका में हिंदी शिक्षण की लहर(सुरेन्द्र गंभीर), हिंदी के प्राचीनतम व्याकरण की खोज एवं स्वरूप(तेज कृष्ण भाटिया), संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषाएं एवं हिंदी(महावीर शरण जैन), राजभाषा हिंदी आगे बढ़ रही है मगर चुपचाप(हीरालाल बाछोतिया), विश्व की स्वैच्छिक हिंदी सेवाओं का योगदान(कामता कमलेश), मारिशस में हिंदी(अजामिल माताबदल,धनराज शंभु), हिंदी और काशी की नागरी प्रचारणी सभा(राकेश कुमार दुबे), विेदशों में हिंदी शिक्षण(कृष्ण कुमार गोस्वामी) एंव प्रो. रामप्रकाशः न भूतो, न भविष्यति(राज हीरामन) प्रमुख हैं।
सूचना प्रोद्योगिकी एवं विश्व में हिंदी के अंतर्गत बालेंदु्र शर्मा दधीच एवं पूर्णिमा वर्मन के लेख हिदी ब्लागिंग एवं वेव पत्रकारिता से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी से युक्त हैं। विश्व में हिंदी विविध आयाम के अंतर्गत हंगरी में हिंदी(विजया सती), स्पेन में हिंदी और भारतीय सिद्धांतविषयक परिचर्चा(विजयकुमारन), आस्टेªलिया में हिंदी(दिनेश श्रीवास्तव), बेलारूस में मेरी हिंदी..(आलेसिया माकोव्सकाया), अंडमान निकोबार द्वीप समूह में हिंदी(अनिता गांगुली), आस्टेªलिया में हिंदी कथ्य और तथ्य(रवीन्द्र अग्निहोत्री) तथा हिंदी हमारी प्रिय हिंदी(स्नेह ठाकुर) लेख प्रकाशित किए गए हैं। इन आलेखों के माध्यम से विश्व में हिंदी के क्षेत्र में किए जा रहे कार्याो की विस्तृत जानकारी मिलती है। डायस्पोरा साहित्य के इतिहास पर प्रकाशित विशेष आलेखों में साहित्य में प्रवासी हिंदी साहित्य(अर्चना पैल्यूली), दक्षिण अफ्रीका में हिंदी साहित्य(रामभजन सीताराम), फीजी का हिंदी साहित्य(सत्नेश कुमार), अमरीका का साहित्यिक परिदृश्य तथा अमरीका में हिंदी का भविष्य(इला प्रसाद) एवं अमरीका के कथा साहित्य में अमरीकी परिवेश(सुधा ओम ढीगरा) साहित्यकता तथा जानकारी से भरपूर आलेख हैं। पत्रिका का कलेवर, साज सज्जा तथा नयनाभिराम प्रिटिंग प्रभावित करती है।
सूचना प्रोद्योगिकी एवं विश्व में हिंदी के अंतर्गत बालेंदु्र शर्मा दधीच एवं पूर्णिमा वर्मन के लेख हिदी ब्लागिंग एवं वेव पत्रकारिता से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी से युक्त हैं। विश्व में हिंदी विविध आयाम के अंतर्गत हंगरी में हिंदी(विजया सती), स्पेन में हिंदी और भारतीय सिद्धांतविषयक परिचर्चा(विजयकुमारन), आस्टेªलिया में हिंदी(दिनेश श्रीवास्तव), बेलारूस में मेरी हिंदी..(आलेसिया माकोव्सकाया), अंडमान निकोबार द्वीप समूह में हिंदी(अनिता गांगुली), आस्टेªलिया में हिंदी कथ्य और तथ्य(रवीन्द्र अग्निहोत्री) तथा हिंदी हमारी प्रिय हिंदी(स्नेह ठाकुर) लेख प्रकाशित किए गए हैं। इन आलेखों के माध्यम से विश्व में हिंदी के क्षेत्र में किए जा रहे कार्याो की विस्तृत जानकारी मिलती है। डायस्पोरा साहित्य के इतिहास पर प्रकाशित विशेष आलेखों में साहित्य में प्रवासी हिंदी साहित्य(अर्चना पैल्यूली), दक्षिण अफ्रीका में हिंदी साहित्य(रामभजन सीताराम), फीजी का हिंदी साहित्य(सत्नेश कुमार), अमरीका का साहित्यिक परिदृश्य तथा अमरीका में हिंदी का भविष्य(इला प्रसाद) एवं अमरीका के कथा साहित्य में अमरीकी परिवेश(सुधा ओम ढीगरा) साहित्यकता तथा जानकारी से भरपूर आलेख हैं। पत्रिका का कलेवर, साज सज्जा तथा नयनाभिराम प्रिटिंग प्रभावित करती है।
हिंदी भाषा के इस मधुर प्रकाशन के लिए हार्दिक बधाई ....
ردحذفसराहनीय प्रयास है।
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