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हाइकु विधा मूलतः जापानी काव्य विधा है लेकिन यह पिछले कुछ वर्षो से हिंदी में भी लोकप्रिय हो रही है। हाइकु लोक भारत में इस विधा की एकमात्र पत्रिका है। छंदयुक्त इस विधा में मात्राओं का अत्यधिक महत्व है इसके बिना हाइकु का निर्माण नहीं किया जा सकता है। अंक में हाइकु काव्य के विषय में संपादक मिथलेश दीक्षित ने संक्षेप में अच्छा परिचयात्मक आलेख लिखा है। सृजन के अंतर्गत कुछ अच्छे व सारगर्भित हाइकु का प्रकाशन किया गया है। इनमें अनिरूद्ध सिंह सेंगर, इंदिरा अग्रवाल, ओम प्रकाश सिंह, कमल किशोर गोयनका, गोपाल दास नीरज, नलिनीकांत, रामेश्वर काम्बोज, सदाशिव कौतुक तथा सुभाष नीरव सहित अन्य हाइकुकारों के हाइकु पाठकों को संदेश देते हैं। विदेशों से देवी नागरानी, पूर्णिमा वर्मन, मंजु मिश्रा तथा हरदीप कौर के हाइकु विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। हाइकु समारोह पर पत्रिका के प्रधान संपादक राजेन्द्र परदेसी जी का आलेख इस विधा तथा इसकी भविष्य में हिंदी साहित्य में संभावनाओं पर पर्याप्त प्रकाश डालता है। हिंदी के अन्य रचनाकारों को चाहिए की इस विधा पर समुचित ध्यान देकर इसमें सृजन करें तो वे अपनी बात संक्षेप में कहकर साहित्य का भला कर सकेंगे।
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जवाब देंहटाएंपहले अंक के बाद यह पत्रिका बन्द हो चुकी है।
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