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मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से प्रकाशित यह पत्रिका अपनी रचनात्मकता तथा विशिष्ट अभिव्यक्ति के कारण देश भर में जानी जाती है। समीक्षित अंक में भी सहेजकर रखने योग्य आलेखों का प्रकाशन किया गया है। अंक की अधिकांश रचनाएं समालोचनात्मक हैं जिनमें हिंदी समालोचना को वर्तमान संदर्भो से जोड़ने का प्रयास किया गया है। अंक में शमशेर बहादुर, केदारनाथ अग्रवाल, फैज अहमद फैज, नागार्जुन, अज्ञेय की चुनी हुई प्रमुख कविताओं के साथ साथ उनके साहित्यिक अवदान पर आलेख का प्रकाशन किया गया है। इन आलेखों की विषय वस्तु साहित्यिकारों रचनाकारों के सृजन तथा दैनिक जीवन में संघर्षो से पाठक का परिचय कराती है। ज्योत्सना मिलन, हरीश पाठक, राजेश जोशी, नंद भारद्वाज, एलिस फै़ज, अतीकुल्लाह, भगवतशरण उपाध्याय, प्रयाग शुक्ल, वीरेन्द्र कुमार जैन, बी.बी. कुमार ने अपने अपने लेखों में विस्तार की अपेक्षा सुगठित ढंग से विषयवस्तु का निर्वाह किया है। स.ही. वातस्यायन, पाण्डेय शशिभूषण शीतांशु, कुमार विमल के आलेख सामाजिक सांस्कृतिक ढंग से विषय को पाठक के सामने रखने में पूरी तरह से सफल रहे हैं। सचिता नागदेव का संस्मरण, शम्पा शाह का लोक आलेख तथा तेजी ग्रोवर की कविताएं पत्रिका के अन्य आकर्षण हैं। अन्य रचनाएं, समीक्षांए तथा संपादकीय भी प्रभावित करते हैं।
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