पत्रिका: हिंदी चेतना, अंक: जुलाई सितम्बर 2011, स्वरूप: त्रैमासिक, प्रमुख संपादक: श्याम त्रिपाठी, संपादक: सुधा ओम ढीगरा, पृष्ठ: 68, ई मेल: hindichetna@yahoo.ca ,वेबसाईट: http://www.vibhom.com/ , फोन/मोबाईल: 905.4757165, सम्पर्क: 6 Larksmere Court, Markhem, Ontario, L3R 3R1
हिंदी प्रचारिणी सभा कैनेड़ा द्वारा विगत 13 वर्ष से निरंतर प्रकाशित हो रही पत्रिका हिंदी चेतना अकेली ऐसी पत्रिका है जिसने दुनिया के हिंदीप्रेमियों को भारत से जोड़े रखने का अहम कार्य किया है। पत्रिका पाठकों को मोगरे की खुशबू, गेंदे की सुनहरी आभा, मक्के की रोटी और सरसों का साग तथा पलाश के सौन्दर्य से बांधे रखकर हिंदी साहित्यजगत में अहम स्थान हासिल कर चुकी है। अंक में प्रकाशित कहानियों में फरिश्ता(पंकज सुबीर), कच्चा गोश्त(ज़कीबा जुबेरी) तथा केतलीना(अर्चना पेन्यूल) में निहित खुशबू को इन रचनाओं को पढ़कर महसूस किया जा सकता है। पत्रिका की संपादक डाॅ. सुधा ओम ढीगरा का लेख ‘अमरीका के हिंदी कथा साहित्य में अमेरिकी परिवेश शोध छात्रों के साथ साथ सामान्य पाठक के लिए समान रूप से उपयोगी है। आलेख से अमरीका में रह रहे हिंदी कथाकारों के सृजन की महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है। ओंमकारेश्वर पाण्डेय हिंदी को वैश्विक मुद्दों से जोड़े जाने की जरूरत बताते हुए आज के संदर्भ में उसकी उपादेयता पर भी विचार करते हैं। प्रकाशित कविताओं, ग़ज़लों, गीतों में कृष्ण कुमार यादव, सर्वेश आस्थाना, अलका सैनी, भगवत शरण, अमित कुमार सिंह, प्रकाश वर्मा, नित्यानंद तुषार, नरेन्द्र व्यास, रमेश रौनक, विजया सती, रेखा भाटिया, दीपक मशाल एवं अमित कुमार शर्मा ने कविता/ग़ज़ल विधा की मर्यादाओं का पालन करते हुए वर्तमान को अतीत से जोड़कर नवीन ढंग से विचार किया है। सुधा भार्गव की बाल कहानी नाग देवता बच्चों के साथ साथ अधिक उम्र के पाठकों का मनोरंजन करने में पूरी तरह से सक्षम है। सुकेश साहनी, सतीश राज तथा श्याम संुदर अग्रवाल की लघुकथाएं आमजन को अभिव्यक्ति देती दिखाई पड़ती है। हिंदी को दुनिया के कोने कोने में पहुंचाने का भाव लिए हुए प्रमुख संपादक श्याम त्रिपाठी जी का संपादकीय पठनीय व ज्ञानवर्धक है। साहित्य सृजन व पठन को ध्यान में रखते हुए संपादक सुधा जी का आखिरी पन्ना पत्रिका के आगामी अंक की प्रतीक्षा व उत्सुकता को जगाने मेें पूर्ण रूप से सहायक है। पत्रिका की अन्य रचनाएं, समीक्षाएं तथा समाचार भी प्रभावित करते हैं। हिंदी चेतना की साज सज्जा, कलेवर तथा सामग्री संयोजन काबिले तारीफ है। हिंदी साहित्य जगत में ऐसी पत्रिकाएं गिनी चुनी हैं जो आधुनिक तकनीक व नवाचारों का उपयोग कर हिंदी के लगातार विकास तथा विस्तार में लगी हुई हैं।
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