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पत्रिका का समीक्षित अंक ख्यात प्रगतिशील कवि नागार्जुन पर एकाग्र है। अंक में उनके समग्र व्यक्तित्व पर सारगर्भित आलेखों का प्रकाशन किया गया हैै। प्रमुख आलोचक रामप्रकाश त्रिपाठी, सुरेश पंडित, रमाकांत शर्मा, सूर्यकांत नागर, मधुरेश जी एवं माधव हाड़ा के आलेख नागार्जुन की कविताओं का विश्लेषणपरक मूल्यांक न करते हैं। ख्यात कवि सर्वश्री ओमप्रकाश भारती, महेश पुनेठा, मोहन सगोरिया तथा कुमार सुरेश ने उनकी कविताओं पर अन्य रचनाओं पर विचार रखे हैं। नागार्जुन की कलम से कालम के अंतर्गत उनकी कुछ चुनी हुई कविताएं प्रकाशित की गई है। इन कविताओं के माध्यम से साहित्य के नए पाठकों का नागार्जुन से पुनः परिचय कराया गया हैै। पत्रिका की अन्य रचनाएं, समीक्षाएं व पत्र आदि भी प्रभावित करते हैं।
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