पत्रिका: अक्सर, अंक: मार्च 2011, स्वरूप: त्रैमासिक, संपादक: हेतु भारद्वाज, पृष्ठ: 232, मूल्य: 25रू(वार्षिक 100रू.), ई मेल: वेबसाईट: उपलब्ध नहीं , फोन/मोबाईल: 0141.2761245, सम्पर्क: ए-243, त्रिवेणी नगर, गोपालपुरा बाईपास, जयपुर 302018 राजस्थान
राजस्थान से प्रकाशित इस ख्यात पत्रिका का यह अंक प्रसिद्ध कवि केदारनाथ अग्रवाल पर एकाग्र है। अंक में उनके समग्र व्यक्तित्व को समेटने का प्रयास किया गया है। प्रायः सभी रचनाएं तथा आलेख उनके जीवन वृत्त पर प्रकाश डालने के साथ साथ उनके काव्य पर नए प्रतिमानों के अनुसार विचार करते दिखाई पड़ते हैं। इन आलेखों में प्रमुख हैं - केदार की कविताओं में राजनीति की प्रमुख भूमिका है(राम विलास शर्मा), प्रकृति इतिहास को सौन्दर्यबोध(विश्वनाथ त्रिपाठी), आग लगे इस रामराज में(अजय तिवारी), श्रम के सौन्दर्य के कवि(अशोक त्रिपाठी), पक्षी जो एक अभी अभी उड़ा(केशव तिवारी), केदार की प्रगतिशील एन्द्रिकता का आलोक(लीलाधर मंडलोई) एवं तेज धार का कर्मठ पानी(जीवन सिंह) में उनके काव्यात्म रूप का सौन्दर्यपरक विवरण मिलता है। अन्य आलेखों में उनके दैनिक जीवन तथा साहित्यिक गतिविधियों व रचनासंसार से पत्रिका का पाठक परिचित होता है। जन जन के सजग चितैरेःकेदारनाथ(राजेश जोशी), मुक्ति के लिए एक मान(एकान् श्रीवास्तव), कंधे पर केन नदी(नरेश चंद्रकर), मित्र संवाद(कमेन्द्रु शिशिर), सूर्य कभी नहीं डूबता(रंजना जायसवाल), आस्था और विश्वास के कवि केदार(नरेन्द्र पुण्डरीक), केदार जी की विनम्रता को याद करते हुए(महावीर अग्रवाल) तथा सारा लोहा उन लोगों का अपनी केवल धार(कल्लु लाल कुलमी) के आलेखों में उनकी कविताओं पर नए ढंग से विचार किया गया है। पत्रिका की सज्जा कलेवर तथा प्रस्तुतिकरण प्रभावित करता है। ( published in jansandesh times, lucknow)
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