
इस पत्रिका का स्वरूप विशुद्ध साहित्यिक न होते हुए भी इसकी अंतर्रात्मा साहित्य का पोषण करती है। अंक में आदित्य प्रसाद अग्रवाल, मयंक श्रीवास्तव, किशोरीलाल शर्मा के लेख साहित्येत्तर विषयों पर साहित्यिक दृष्टिकोण से विचार करते हैं। आध्यात्म के अंतर्गत श्री रविशंकर, दीनदयाल मणि त्रिपाठी एवं वालेन्द्रु शेखर तिवारी ने आध्यात्म पर वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखकर विचार किया है। लोकेन्द्र सिंह चैहान व उषा यादव की कविताएं तथा कमल कपूर की रचना ‘आस्था के फूल’ आत्मिक शांति प्रदान करती है। ( Published in Jansandesh Times)
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