
साहित्य जगत की स्थापित इस पत्रिका का समीक्षित अंक आंशिक रूप से ख्यात सौन्दर्य कवि शमशेर बहादुर पर एकाग्र है। उनकी कविताओं व अन्य रचनाओं के साथ साथ पत्रिका के संपादक रमेश दवे, अखिलेश शुक्ल, पे्रम शशांक, रंजना अरगड़े, कृष्ण दत्त पालीवाल, ख्यात आलोचक प्रभाकर श्रोत्रिय, कृष्णगोपाल मिश्र, वरिष्ठ आलोचक प्रो. रमेश चंद्र शाह के आलेख शमशेर बहादुर की कविताओं के साथ साथ उनके समग्र जीवन पर भलीभांति प्रकाश डालते हैं। पत्रिका के संपादक निरंजन श्रोत्रिय द्वारा बुद्धिलाल पाल की कविताओं का चयन व प्रस्तुतिकरण प्रभावशाली है। राजी सेठ, नरेन्द्र दीपक, नरेन्द्र गौड़ एवं महेन्द्र गगन की कविताएं समय असमय में न उलझकर सीधे तौर पर अपनी बात पाठकों के सामने रखती हैं। राजेन्द्र परदेसी की कहानी गृहस्थी एक आम मध्यमवर्गीय भारतीय परिवार की कहानी है। सतीश राठी एवं प्रद्युम्न भल्ला की लघुकथाओं में लघुकथात्मकता की कमी खटकी। एन्तोन चेखव की कथा का रूपांन्तरण ब्रजेश कृष्ण द्वारा पर्याप्त सावधानी से किया गया है। रंगशीर्ष के अंतर्गत सचिदा नागदेव पर उपयोगी व ज्ञानवर्धक सामग्री का प्रकाशन पत्रिका द्वारा किया गया है। पत्रिका की अन्य रचनाएं, स्थायी स्तंभ व समीक्षाएं भी रूचिकर हैं।
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