पत्रिका: हिमप्रस्थ, अंक: सितम्बर2010, स्वरूप: मासिक, संपादक: रणजीत सिंह राणा, पृष्ठ: 56, मूल्य: 5रू.(वार्षिक 50 रू.), ई मेल: himprasthahp@gmail.com , वेबसाईट/ब्लाॅग: उपलब्ध नहीं, फोन/मो. उपलब्ध नहीं, सम्पर्क: हिमाचल प्रदेश प्रिटिंग प्रेस परिसर, घौड़ा चैकी, शिमला 5 हिमाचल प्रदेश
हिमाचल प्रदेश की खुबसूरत वादियों से निकली साहित्य की बयार को देश भर में महसूस करा रही यह पत्रिका केवल 5 रू. में उपलब्ध है। आज महंगाई के समय में इतनी कम कीमत में उत्कृष्ट साहित्य उपलब्ध कराना साहसिक कदम है। फिर भले ही वह हिमप्रस्थ जैसी शासकीय पत्रिका ही क्यों न हो। समीक्षित अंक में विष्णु प्रभाकर का उपन्यास अर्द्धनारीश्वर(राम निहाल गुंजन), चम्बा की रानी सुनयना और ढोलक गायन(ब्रहमदत्त शर्मा), सुनीता जैन की कहानियों में नारी स्वरूप(योगिता चैहान) एवं जगदीश चन्द्र के उपन्यासों में दलित वर्ग का स्वरूप आलेख प्रभावित करते हैं। पवन चैहान की कहानी ‘इंतजार’ ठीक ठाक है। योगेन्द्र शर्मा की कहानी ‘मास्टर जी’ में कहीं कहीं अनावश्यक विस्तार हो गया है जो कथारस लेने मंे बाधा बनता है। पंकज शर्मा व जोगेश्वरी संधीर की लघुकथाएं अच्छी व समयानुकूल हैं। अरविंद ठाकुर, स्नेहलता, रामचंद्र सोलंकी व पियूष गुलेरी की कविताएं उल्लेखनी हैं। पत्रिका की अन्य रचनाएं भी पठनीय व विचार योग्य हैं।
Himprasth ek uchch stariy patrika hai.mene bhi iske kuch ank parhe hai. aapne uchit samiksha ki hai.
ردحذفDr.
dinesh Pathak shahsi.Mathura.
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