पत्रिका: साक्षात्कार, अंक: अपै्रल-मई 2010, स्वरूप: मासिक, संपादक: प्रो. त्रिभुवन लाल शुक्ल़, पृष्ठ: 120, मूल्य:25रू.(.वार्षिक 250रू.), मेल: sahutya_academy@yahoo.com , वेबसाईट/ब्लाॅग: उपलब्ध नहीं, फोन/मो. 0755.2554782, सम्पर्क: साहित्य अकादमी, .प्र. संस्कृति परिषद, संस्कृति भवन, बाणगंगा, भोपाल 3, .प्र.
मध्यप्रदेश से प्रकाशित महत्वपूर्ण पत्रिका साक्षात्कार के इस अंक में रचनाओं की विविधता स्वागत योग्य हैै। इस अंक में प्रेमशंकर रघुवंशी, वीरेन्द्र सिंह, ज्योतिष जोशी एवं यश मालवीय के लेख साहित्य के माध्यम से आम जीवन को स्पंदित करते हैं। ख्यात आलोचक प्रो. रमेश चंद्र शाह एवं समीक्षक आलोचक श्री परमानंद श्रीवास्तव की डायरी इस अंक का विशेष आकर्षण है। प्रकाश मंजु, कमलकिशोर भावुक, प्रीति, सत्यपाल, राग तेलंग एवं पुरूषोत्तम दुबे की कविताएं समाज की विसंगतियों विदू्रपताओं पर विचार करती हुई उन्हें दूर करने े उपाय भी सुझाती हैं। कृष्ण शलभ, योगेन्द्र वर्मा ‘व्योम’ की कविताएं दूसरे ढंग से अपनी बात रखती हैं लेकिन इनका स्वर भी समाज के बीच कहीं से रास्ता निकलता दीखता है। कहानियों में हे राम(चंद्रप्रकाश जायसवाल), छत्तीस घंटे(इंदिरा दांगी) एवं दो नन्हें पंख(इंदु बाली) बाजारकरण के बीच ‘दबंग’ हो चुके आदमी से पार पाने की जद्दोजहद करती दिखाई देती हैं। इंदिरा दांगी ने अपनी कहानी छत्तीस घंटे में समाज सेवा का ढोग कर रहे उसी ‘दबंग’ आदमी की नियत व उसकी खोट को उजागर करने का सफल प्रयास किया है। आरनाॅल्ड फाइन की कहानी ‘बटुआ’ का अनुवाद बालकृष्ण काबर एतेश कर कथा के भावों को अच्छी तरह से पकड़ने में कामयाब रहे हैं। शकुनतला कालरा का यात्रा विवरण, राहुल झा(नई कलम) की कविताएं तथा स्तंभ धरोहर के अंतर्गत अज्ञेय की कविताएं पुनः पढ़कर मानसिक अवसादों से मुक्ति मिलती है। पत्रिका में ख्यात साहित्यकार कथाकार विवेकी राय जी से वेद प्रकाश अमिताभ की बातचीत उनके लेखन के द्वारा नवीन रचनाकारों का मार्गदर्शन करने में सफल रही है। संपादक प्रो. त्रिभुवनलाल शुक्ल की कथन, ‘किसी भी विधा की कोई सामग्री तभी साक्षात्कार का हिस्सा बन पाएगी, जब उसमें समाज को कुछ देने की सामथ्र्य होगी।’ पढ़कर तसल्ली मिलती है कि शीघ्र ही साक्षात्कार खोया हुआ स्थान पुनः प्राप्त कर लेगी।

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