पत्रिका: सम्बोधन, अंक: जुलाई-सितम्बर 2010, स्वरूप: त्रैमासिक, संपादकः कमर मेवाड़ी, पृष्ठ: 92, मूल्य:20रू.(.त्रैवार्षिक 200रू.), ई मेल: not avilable , वेबसाईट/ब्लाॅग: उपलब्ध नहीं, फोन/मो. 09829161342, सम्पर्क: पो. कांकरोली जिला राजसमंद 313324 राजस्थान
44 वर्ष पुरानी राजस्थान से प्रकाशित साहित्यिक त्रैमासिकी संबोधन का समीक्षित अंक पहली नज़र में आकर्षित करता है। इतने लम्बे समय तक अनवरत रूप से पत्रिका प्रकाशन सचमुच साहस का विषय है। इस अंक में रवीन्द्र स्वप्निल प्रजापति की पांच कविताएं अपने आसपास के वातावरण को संबोधित करते हुए पाठक से संवाद करती चलती हैं। कृष्णा अग्निहोत्री से वेदप्रकाश की बातचीत साहित्य के नए मानदण्डों पर विचार करती दिखाई देती है। जयदेव पानेरी का आलेख तथा शीला इंद्र का संस्मरण पाठकों को इन विधाओं की ओर आकर्षित करते हैं। कुमार शिव,जितेन्द्र चैहान की कविताएं तथा अंजना संधीर, महेन्द्र प्रताप चांद एवं शबनम की ग़ज़लें इस विधा की नवीनतम तरीके से प्रस्तुति बन पड़ी है। मुकुल जोशी, दीप्ति गुप्ता एवं नसरीन बानो की कहानियां समाज मे नारकीय जीवन व्यतीत कर रहे मानव से आग्रह करती है कि वह उन्नति के लिए उठ खड़ा हो तथा अपना व अपने पर्यावरण का विकास करे। बी. रामशेष की लघुकथाएं तथा पत्रिका की समीक्षाएं एवं अन्य रचनाएं प्रभावित करती हैं। का प्रस्तुतिकरण तथा साज सज्जा स्वागत योग्य है।

3 टिप्पणियाँ

  1. सुंदर ओर उपयोगी जानकारी के लिये आप का धन्यवाद

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  2. धन्‍यवाद. सम्‍बोधन जयपुर में कैसे प्राप्‍त हो सकती है.कृपया बताएं;
    अमित शर्मा
    9829014088
    www.patrkar.com

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  3. हिंदी पुस्तकों की समीक्षा पढें।
    www.pdfbookbox.blogspot.in

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