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समावर्तन का समीक्षित अंक विविधतापूर्ण साहित्यिक सामग्री से युक्त है। अंक में ख्यात कवि व कथाकार कमल कुमार पर उपयोगी व पठनीय सामग्री प्रकाशित की गई है। उनके समग्र व्यक्तित्व पर प्रकाशित रचनाएं व लेख उल्लेखनीय हैं। ख्यात आलोचक डाॅ. धनंजय वर्मा, कुंवर जावेद, व पिलकेन्द्र अरोरा व सत्य शुचि की लघुकथाएं एवं अन्य रचनाएं पत्रिका का कलेवर व उसकी उपयोगिता से परिचय कराती है। मालवी हास्य एवं व्यंग्य कवि भावसार बा पर इतनी विस्तृत सामग्री पहली बार कहीं पढ़ने में आयी है। प्रमोद त्रिवेदी एवं भगवती लाल राजपुरोहित ने मालवी लोक भाषा एवं संस्कृति पर विचार करते हुए अपने अपने आलेख लिखे हैं। जितेन्द्र चैहान की कविताएं उस दौर की कविताएं हैं जहां मानव अपनी अस्मिता के लिए समय के साथ संघर्षरत रहता है। पत्रिका की अन्य रचनाएं, आलेख व समाचार भी उपयोग व पठनीय हैं।
जानकारी के लिये धन्यवाद. शुभकामनायेँ
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