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पाठकों के मध्य लोकप्रिय पत्रिका साक्षात्कार के समीक्षित अंक में गिरीश रस्तोगी से उषा जायसवाल की बातचीत में उनके समग्र व्यक्तित्व के साथ साथ नाट्य विधा पर समुचित रूप से प्रकाश डाला गया है। सतीश मेहता, शंकर शरण, कृष्णदत्त पालीवाल एवं कमला प्रसाद चैरसिया वर्तमान समाज व उसे संदर्भ को अच्छी तरह उभारने में सफल रहे हैं। विजेन्द्र, प्रभात त्रिपाठी, प्रमोद त्रिवेदी की कविताएं व ओमप्रकाश सारस्वत के गीत पढ़ने में आनंद की अनुभूति कराते हैं। आस्टेªलिया की चर्चित लेखिका कार्मल बर्ड के उपन्यास का अनुवाद कुछ बोझिल सा हो गया है। लेकिन विद्या गुप्ता का यात्रा वृतांत तथा राजकिशोर राजन की कविताएं किसी भी वाद प्रतिवाद से परे हैं। पत्रिका की समीक्षाएं, पत्र, समाचार व अन्य रचनाएं भी उल्लेखनीय हैं। बस आवश्यकता है तो इस बात की कि पत्रिका नियमित रूप से निश्चित समय पर प्रकाशित होती रहे।
धन्यवाद जी
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