पत्रिका: मोरंगे, अंक: जनवरी-फरवरी10, स्वरूप: द्वैमासिक, संपादक: प्रभात, पृष्ठ: 48, मूल्य:उपलब्ध नहीं,, ई मेल: graminswm@gmail.com , वेबसाईट/ब्लाॅग: www.graminshiksha.in , फोन/मो. 07462.233057, सम्पर्क: ग्रामीण शिक्षा केन्द्र, 3/155, हाउसिंग बोर्ड, सवाईमाधोपुर,
राजस्थानयात्रा फाउंडेशन आस्टेªलिया के वित्तीय सहयोग से प्रकाशित हो रही पत्रिका मोरंगे का समीक्षित अंक राजस्थानी साहित्य व संस्कृति से रचनाओं से परिपूर्ण है। अंक में मोनिका शर्मा, एकराज मीणा, मैना गुप्ता, राजेश कुमावत, अनूप मीणा, दिनेश शुक्ला, रेणु गूर्जर, नवीन अरोड़ा, वेणी प्रसाद शर्मा, चैथमल सेनी एवं अन्य, श्यामा चैधरी, भारती शर्मा, कर्मा-प्रियंका व अन्य, दशरथ नायक, रामधणी,सीमा, बीना, आदि के सुुंदर लोकगीतों व स्थानीय संस्कृति से युक्त रसपूर्ण रचनाआंे को स्थान दिया गया है। नरसी जी कौ भात जैसी प्राचीन लोक कथा को पत्रिका में नवीन रूप में धवले मीणा ने लिखकर पाठकों के लिए प्रस्तुत किया है। लोक कवि व गायक धवले जी से बातचीत द्वारा उनके जीवन में उतार चढ़ाव की काफी कुछ जानकारी हासिल होती है। संपादक प्रभात का लोकगीतों पर एकाग्र संपादकीय भी पठनीय है।
राजस्थानयात्रा फाउंडेशन आस्टेªलिया के वित्तीय सहयोग से प्रकाशित हो रही पत्रिका मोरंगे का समीक्षित अंक राजस्थानी साहित्य व संस्कृति से रचनाओं से परिपूर्ण है। अंक में मोनिका शर्मा, एकराज मीणा, मैना गुप्ता, राजेश कुमावत, अनूप मीणा, दिनेश शुक्ला, रेणु गूर्जर, नवीन अरोड़ा, वेणी प्रसाद शर्मा, चैथमल सेनी एवं अन्य, श्यामा चैधरी, भारती शर्मा, कर्मा-प्रियंका व अन्य, दशरथ नायक, रामधणी,सीमा, बीना, आदि के सुुंदर लोकगीतों व स्थानीय संस्कृति से युक्त रसपूर्ण रचनाआंे को स्थान दिया गया है। नरसी जी कौ भात जैसी प्राचीन लोक कथा को पत्रिका में नवीन रूप में धवले मीणा ने लिखकर पाठकों के लिए प्रस्तुत किया है। लोक कवि व गायक धवले जी से बातचीत द्वारा उनके जीवन में उतार चढ़ाव की काफी कुछ जानकारी हासिल होती है। संपादक प्रभात का लोकगीतों पर एकाग्र संपादकीय भी पठनीय है।
एक टिप्पणी भेजें