पत्रिका: पूर्वग्रह, अंक: 129 अप्रैल-जून10, स्वरूप: त्रैमासिक, संपादक: डाॅ. प्रभाकर श्रोत्रिय, पृष्ठ: 129, मूल्य:30रू.(वार्षिक 100रू.), ई मेल: bharatbhavantrust@gmail.com , वेबसाईट/ब्लाॅग: उपलब्ध नहीं, फोन/मो. 0755.2660239, सम्पर्क: भारत भवन न्यास, ज.स्वामीनाथन मार्ग, श्यामला हिल्स, भोपाल म.प्र.
कला संस्कृति के लिए समर्पित पत्रिका का यह अंक विविध पाथाकोउपयोगी सामग्री से युक्त है। अंक में कविता के वर्तमान संकट पर ‘क्या कविता संकट में है?’ पर परिचर्चा प्रकाशित की गई है। इस चर्चा में सुतिन्दर सिंह नूर, लीलाधर जगूड़ी, शशिकला त्रिपाठी एवं जयसिंह नीरद के कविता पर विचार प्रकाशित किए गए हैं। पठनीय आलेखों में- संस्कृत काव्यशास्त्रः युगीन नई स्थापनाएं(रेवाप्रसाद द्विवेदी), भारतीय विमर्शः परंपरा और आलोचना(कृष्णदत्त पालीवाल), शिलापट्ट का शिल्प समूह(रमेश कुंतल मेघ), नए साहित्यिक सिद्धांत का अंत(देवेन्द्र इस्सर) एवं भावों के लोकतंत्र का शुक्ल पक्ष(राजेन्द्र कुमार) प्रमुख हैं। जितेन्द्र नाथ पाठक ने रामचंद्र तिवारी:एक समीक्षादृष्टि आलेख में आलोचना के क्षेत्र में लेखक के योगदान पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला है। अतुलवीर अरोड़ा एवं महेन्द्र भानावत ने रंगमंच एवं लोक कला के विविध रूपों की सार्थक व्याख्या की है। पत्रिका का संग्रह योग्य व पठनीय आलेख डायरी के पन्नों से उस्ताद बिस्मिल्ला खां पर कुछ नोट्स(यतीन्द्र मिश्र) है। मोहन डेहरिया एवं राग तेलंग की कविताएं अपनी नवीनता के साथ साथ अपने शिल्प में आम जन की पीड़ा अभिव्यक्त करती है। पुस्तक समीक्षा खण्ड भी समीक्षकों की गहन दृष्टि व समीक्षित पुस्तकों की उपयोगिता से भलीभांति परिचित कराता है। इस खण्ड में रमेश दवे, प्रियदर्शन, परमानंद श्रीवास्तव, योजना रावत, रामेश्वर मिश्र पंकज एवं माधवेन्द्र की समीक्षाएं गहन विश्लेषण व्यक्त करती है।
आभार जानकारी का.
जवाब देंहटाएंलगातार जानकारी के लिये आभार ...
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