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छतीसगढ़ राज्य की राजधानी रायपुर से इंटरनेट पर प्रतिदिन अपडेट हो रही यह पत्रिका अपने आप में अद्वितीय है। पत्रिका में स्थायी स्तंभ, वीडियो सामग्री दैनिक साहित्यिक समाचार के साथ साथ साहित्यिक रचनाएं भी बिना
किसी भेदभाव व विचारधारा के अंतर के प्रकाशित की जा रही हैं। इन रचनाओं में रचनाकारों के नाम की अपेक्षा उनका गुणवत्ता स्तर देखा जाता है। इस पत्रिका में स्थान पाना किसी भी रचनाकार के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि पत्रिका को विश्व भर में इंटरनेट के माध्यम से देखा जाता है। इस माह प्रकाशित प्रमुख रचनाओं में मैं क्या हूं(मनोज सिंह), ज्ञानसिंह और नक्काली जाति के लोग(गिरीश पंकज), सामाजिक सरोकार और युवाओं की भूमिका(उमाशंकर मिश्र), मूक फिल्मों के 100 साल(अनिल सिन्हा), अंडमान निकोबार में स्मृद्ध होती हिंदी(कृष्ण कुमार यादव), सुभाष काक की कविताएं, पानी मंहगा सस्ता खून(संजय कुमार चैरसिया), बालकृष्ण शर्मा नवीन की संपादकयी टिप्पणियां(अनिल सौमित्र), हिंदी पुस्तक प्रकाशनका मकड़जाल(अखिलेश शुक्ल), कहानी असीम(अनुराग शर्मा) व गांव के घर की याद(डाॅ. धमेन्द्र पारे) सहित अन्य उल्लेखनीय रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं। अभी तो लगभग पूरा माह शेष है, इसमें पाठकों को अन्य उपयोगी रचनाएं व समाचार पढ़ने के लिए उपलब्ध होगें। वेब साईट पर उपलब्ध अमूल्य साहित्य का पाठकों को अवश्य ही लाभ उठाना चाहिए।
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आईये जानें .... मन क्या है!
जवाब देंहटाएंआचार्य जी
सृजनगाथा की जानकारी के लिए धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी।
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी।
जवाब देंहटाएंजानकारी के लिए धन्यवाद
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