
पत्रिका वागर्थ का समीक्षित अंक आंशिक रूप से ख्यात कथाकार मार्कण्डेय जी को याद करता है। अंक में उन पर सम्पादकीय के साथ साथ कमलेश्वर, दुष्यंत कुमार व सरजू प्रसाद मिश्र के आलेख प्रकाशित किए गए हैं। मई दिवस को याद करते हुए नरेन्द्र जैन, एकान्त श्रीवास्तव, विनय कुमार पटैल, अमित मनोज व पुष्पराज के आलेख उल्लेखनीय हैं। देवेन्द्र कुमार देवेश का आलेख तथा रमेश दवे की रचनाएं ध्यान देने योग्य हैं। किशन पटनायक व गिरीश मिश्र का चिंतन अनेक बार मनन करने योग्य है। राजीव कुमार थेपड़ा, से.रा. यात्री व जया स्नोवा की लम्बी कहानी समय सापेक्ष रचनाएं हैं। गुजराती कविताओं के अनुवाद विशेष रूप से रमेश शाह का अनुवाद सामने होते हैं प्रभावित करता है। सिनेमा पर शशांक दुबे का आलेख आमिर तो आमिर है में लगता है कुछ अधिक ही प्रशंसा की गई है। पत्रिका की अन्य रचनाएं समीक्षाएं व पत्र साहित्यक समाचार आदि भी इसे पठनीय व संग्रह योग्य बनाते हैं।
जानकारी के लिये धन्यवाद
जवाब देंहटाएंएक टिप्पणी भेजें