
साहित्य संस्कृति के सरोकारों से जुड़ी पत्रिका सनद का समीक्षित अंक विविधतापूर्ण रचनाओं को अपने कलेवर समेटे हुए है। प्रकाशित कहानियों में रास्ते बंद है(रहमान शाही), मोतिहारी वाली(डाॅ. इंदु सिन्हा), तवायफ(महेश अनघ), आखिरी रात(डाॅ. प्रमोद कुमार सिंह), संकल्प(महेन्द्र नारायण पंकज) प्रमुख है। इन कहानियों में वर्तमान के प्रति प्राचीन के दर्द को विस्तार के साथ व्यक्त किया गया है। लघुकथाओं में नरेन्द्र नाथ लाहा, निशा भोसले व महेश राजा ने कथा शिल्प का कुशलतापूर्वक निर्वाहन किया है। डाॅ. नरेश, विज्ञान वृत, राजेन्द्र नागदेव, रश्मि खेरिया, रश्मि बड़थ्वाल, सुनीता भारत व जय चक्रवर्ती के साथ साथ उर्मिला जैन व नंद किशोर अपनी बात कविता के माध्यम से पाठकों के सामने रख सके हैं। महेन्द्र राजा जैन का आलोचनात्मक आलेख ‘नामवर जी जरा...’ कुछ अधिक तल्ख हो गया है। इंतिजार हुसैन पर डाॅ. प्रेम कुमार का संस्मरण जानकारीप्रद व पठनीय है। पत्रिका का मुद्रण व साज सज्जा प्रभावित करती है।
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