पत्रिका: सम्बोधन, अंक: अक्टूबर-दिसम्बर09, स्वरूप: त्रैमासिक, संपादक: क़मर मेवाड़ी, पृष्ठ: 186, मूल्य:20रू.(त्रैवार्षिकः 200रू.), ई मेल: qamar.mewari@rediffmail.com , वेबसाईट: उपलब्ध नहीं, फोन/मो. (02952)223221, 09829161342, सम्पर्क: संपादक सम्बोधन, पो. कांकरोली 313324,जिला राजसमंद, राजस्थान Jaipur_Hotels Jaipur_Hotels
पत्रिका का समीक्षित अंक ‘समकालीन युवा कविता अंक’ है।अंक में किसी वाद विवाद अथवा संवाद की अपेक्षा सीधे तौर पर वर्तमान में लिखी जा रही कविताओं को स्थान दिया गया है। इन कविताओं का स्वर मूलतः मानवतावादी है। जिसमे यथार्थ को रेखांकित करते हुए मानवीय मूल्यों की रक्षा भी की गई है। प्रकाशित कवियों में - अंशुल त्रिपाठी, अनीता वर्मा, अरूण शीतांश, कृष्ण कल्पित, कुमार अनुपम, कुमार वीरेन्द्र, केशव तिवारी, गिरिराज किराडू, गीत चतुर्वेदी, ज्योत्सना शर्मा, तरूण भारतीय, नरेश चंद्रकर, निर्मला गर्ग, नीलेश रघुवंशी, पंकज चतुर्वेदी, परमेन्द्र सिंह, पवन करण, प्रकाश, प्रभात, मंजरी दुबे, मनोज कुमार झा, मृत्युंजय, यतीन्द्र मिश्र, रवीन्द्र स्पप्निल प्रजापति, व्योमेश शुक्ल, शिरीष कुमार मोर्य, शिवप्रसाद जोशी, शेलेष, संजीव बख़्शी, सर्वेन्द्र विक्रम व संुदर चंद्र ठाकुर शामिल हैं। हालांकि कुछ कवि अपेक्षाकृत रूप से नए है लेकिन उनकी कविताएं गंभीर व वर्तमान समाज का प्रतिनिधित्व करती दिखाई पड़ती हैं। राजस्थान से प्रकाशित इस अच्छे व संग्रह योग्य अंक की साहित्य जगत में व्यापक चर्चा होना चाहिए।
पत्रिका का समीक्षित अंक ‘समकालीन युवा कविता अंक’ है।अंक में किसी वाद विवाद अथवा संवाद की अपेक्षा सीधे तौर पर वर्तमान में लिखी जा रही कविताओं को स्थान दिया गया है। इन कविताओं का स्वर मूलतः मानवतावादी है। जिसमे यथार्थ को रेखांकित करते हुए मानवीय मूल्यों की रक्षा भी की गई है। प्रकाशित कवियों में - अंशुल त्रिपाठी, अनीता वर्मा, अरूण शीतांश, कृष्ण कल्पित, कुमार अनुपम, कुमार वीरेन्द्र, केशव तिवारी, गिरिराज किराडू, गीत चतुर्वेदी, ज्योत्सना शर्मा, तरूण भारतीय, नरेश चंद्रकर, निर्मला गर्ग, नीलेश रघुवंशी, पंकज चतुर्वेदी, परमेन्द्र सिंह, पवन करण, प्रकाश, प्रभात, मंजरी दुबे, मनोज कुमार झा, मृत्युंजय, यतीन्द्र मिश्र, रवीन्द्र स्पप्निल प्रजापति, व्योमेश शुक्ल, शिरीष कुमार मोर्य, शिवप्रसाद जोशी, शेलेष, संजीव बख़्शी, सर्वेन्द्र विक्रम व संुदर चंद्र ठाकुर शामिल हैं। हालांकि कुछ कवि अपेक्षाकृत रूप से नए है लेकिन उनकी कविताएं गंभीर व वर्तमान समाज का प्रतिनिधित्व करती दिखाई पड़ती हैं। राजस्थान से प्रकाशित इस अच्छे व संग्रह योग्य अंक की साहित्य जगत में व्यापक चर्चा होना चाहिए।
पत्रिका युवाओं के समसामयिक दृष्टिकोण को एक आयाम देती है, यह बहुत ही प्रशंसनीय है......
जवाब देंहटाएंपत्रिका का कलेवर बहुत ही सुन्दर है
नयी प्रतिभाओं को ऐसे प्रयासों से ही सामने लाया जा सकता है ... सफलता की कामना करता हूँ ...
जवाब देंहटाएंसम्बोधन बहुत पुरानी पत्रिका है । जब हम लोग नये नये समकालीन कविता की दुनिया में प्रवेश कर रहे थे तब इस पत्रिका के साथ जुड़े थे । कमर मेवाड़ी जी का यह काम प्रशंसनीय है ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद फ़िर से इस सुंदर जानकारी के लिये
जवाब देंहटाएंno..
जवाब देंहटाएंnahin...
never.............
ooonhooooooooooon................
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी जानकारी मिली इस पोस्ट से
जवाब देंहटाएंमैं भी जयपुर की हूँ और राजस्थानी हूँ इसलिए भी राजस्थान का ये संबोधन अच्छा लगा .
जवाब देंहटाएंलता 'हया'
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