
पत्रिका आसपास का समीक्षित अंक साहित्यकारों-लेखकों के मध्य संवाद स्थापित करने के लिए प्रकाशित की जाती है। पत्रिका के इस अंक में दुष्यंत कुमार पाण्डुलिपि संग्रहालय के अलंकरण का समाचार प्रमुखता से प्रकाशित किया गया है। इस बार यह अलंकरण सोम ठाकुर, प्रो. भगवत रावत, श्रीमती मालती जोशी, श्री हरिहर वैष्णव को दिया गया है। भवभूति अंकरण में विष्णु खरे की खरी खरी कैलाश गुरू गोस्वामी की उर्दू की दुर्लभ विधा पर किताब का समाचार पठनीय व जानकारीप्रद है। संग्रहालय समाचार के अंतर्गत कलम भले ही मेरी है पर कमाल तेरा है, बिना टिकिट अतीत का सफर, हिंदी का दीवान अफगानी परिवार पढने में अच्छे लगे। पत्रिका की अन्य जानकारी, प्रकाशन लोकार्पण आदि भी संवाद स्थापित करने में सफल हैं।
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