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पारिवारिक पत्रिका अहल्या का यह समीक्षित अंक अपनी विविधतापूर्ण सामग्री के कारण उल्लेखनीय है। अंक में परिवार के लिए उपयोगी व पठ्नीय आलेखों का प्रकाशन किया गया है। इनमें सत्यनारायण पवार, प्रो. शामलाल कौशल, सावित्री देवी, दुर्गाचरण मिश्र, ओमप्रकाश बजाज तथा डाॅ ए. कीर्तिवर्धन प्रमुख हैं। प्रकाशित कहानियां भी भारतीय समाज व आम जन का प्रतिनिधित्व करती है। भवानी सिंह, अंजु दुआ जैमिनी, कृष्ण शंकर सोनाने की कहानियां अपने काल व स्थान विशेष की पृष्ठभूमि को समेटते हुए आज जन से जुड़ती हैं। मुन्ना मोहन, अखिलेश शुक्ल एवं सुभाष सोनी की लघुकथाएं मानव की दैनिक चिंताओं से जुड़ी हुई हैं। दिवाकर पाण्डेय, रामनिवास मानव, भगवत दुबे एवं दरवेश भारती की कविताएं विशेष रूप से प्रभावित करती हैं। अन्य रचनाएं समीक्षाएं व पत्र आदि पत्रिका को स्तरीय बनाते हैं।
कथाचक्र अंतरजाल पर एक अमूल्य धरोहर बनता जा रहा है!
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"महाशिवरात्रि पर आपके लिए हार्दिक शुभकामनाएँ!"
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कह रहीं बालियाँ गेहूँ की - "मेरे लिए,
नवसुर में कोयल गाता है - मीठा-मीठा-मीठा!"
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संपादक : सरस पायस
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