पत्रिका-व्यंग्य यात्रा, अंक-जुलाई-सितम्बर.09, स्वरूप-त्रैमासिक, संपादक-प्रेम जनमेजय, पृष्ठ-128, मूल्य-20रू. (वार्षिक 80रू.), सम्पर्क-73, साक्षर अपार्टमेंट, ए.3, पश्चिम विहार नई दिल्ली 110063, फोनः(011)25264227, ईमेलः vyangya@yahoo.com
हिंदी व्यंग्य साहित्य की एकमात्र त्रैमासिकी के इस अंक में विविधतापूर्ण व्यंग्य शामिल किए गए हैं। इनमें प्रमुख है - उत्तरदायी सरकार(श्रीकांत चैधरी), पैटरनिटी लीव(बलराम), एक्सीडेंट का रहस्य(राजेन्द्र सहगल), पेशे लायक चेहरा(विलास गुप्ते), गंगा जमुना आख्यान(मनोज श्रीवास्तव), मैंने लड़की देखी(रमाशंकर श्रीवास्तव), डंडा ददाति विन्यम(कैलाश चंद्र जायसवाल)प्रमुख हैं। शेष रचनाओं में व्यंग्य की केवल झलक मात्र ही है। अजय अनुरागी, प्रकाश मनु, कैलाश मण्डलेकर, सूर्यबाला, ज्ञान चतुर्वेदी ने ख्यात कथाकार-व्यंग्यकार सूर्यबाला पर गहन गंभीर चिंतन प्रस्तुत किया है। ख्यात व्यंग्यकार हरीशंकर परसाई जी पर संज्ञा उपाध्याय का आलेख उनके साहित्य का अच्छा विश्लेषण प्रस्तुत करता है। पत्रिका की व्यंग्य कविताएं तथा अन्य रचनाएं भी पाठकोपयोगी व संग्रह योग्य हैं।
नियमित पाठक हूँ। जनमेजय जी से मिलने और बात करने का भी अवसर मिला है। सचमुच सराहनीय प्रयास है।
जवाब देंहटाएंसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
THANKS AKHILESH JI ....MAINE MAIL KI HAI PATRIKA KO MANGANE KE LIYE ...DEKHTE HAIN KYA HOTA HAI ...
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