
केरल से हिंदी भाषा एवं साहित्य पर प्रकाशित होने वाली यह प्रमुख पत्रिका है। इसमें देश भर में विशेष रूप से देश के दक्षिण प्रांतों में हिंदी की गतिविधियों तथा उस पर आयोजित कार्ययोजनाओं को प्रमुखता से प्रकाशित किया जाता है। इस अंक में बद्रीनारायण तिवारी, डाॅ. रवीन्द्र कुमार, कृष्ण कुमार यादव, डाॅ .अमर सिंह वधान, पी. लता, कविता रायजादास एवं आर. राजपुष्पम जैसे ख्याति प्राप्त रचनाकारों के आलेखों को शामिल किया गया है। डाॅ. गोविंद शैनाय, उर्मि कृष्ण की लघुकथाएं तथा रामस्नेहीलाल यायावर की कविता प्रकाशित की गई है। पैनी मैथ्यूस का भारतेन्दु जी पर लिखा गया आलेख तथा जसविंदर शर्मा की कहानी रिश्ता विशेष रूप से आकर्षित करती है। पत्रिका के संपादक डाॅ. एन. चन्द्रशेखरन नायर का महाकाव्य श्री हनुमान पत्रिका की विशेष उपलब्धि है। पत्रिका का मुद्रण तथा साफ संुदर कलेवर प्रभावित करता है। अच्छी पत्रिका के अनूठे अंक को अवश्य ही पढ़ा जाना चाहिए।
केरल वासियों की यही ख़ासियत मुझे प्रभावित करती है की उन्हें हिन्दी से प्रेम है और वे इस भाषा को भी उसी चाव से पढ़ते हैं जितनी अपनी भाषा मलयालम को.पत्रिका के लिए शुभकामनाए.
जवाब देंहटाएंसार्थक प्रयास...अनेक शुभकामनाएँ.
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