
पत्रिका नया ज्ञानोदय का नवम्बर 09 अंक महाविशेषांक 05 है। इस अंक में विशेष रूप से पे्रम के लोक पक्ष पर पठ्नीय व संग्रह योग्य सामग्री का प्रकाशन किया गया है। अंक हर तरह से बेजोड़ है व सामग्री का स्तर अंतर्राष्ट्रीय स्तर का है। विजय मोहन सिंह ने टाॅल्सटाॅय के विश्व प्रसिद्ध उपन्यास ‘अन्ना केरेनिना’ की संरचना व उसके सृजन पर उपयोगी आलेख लिखा है। ‘अवधि साहित्य में प्रणय प्रसंग के अंतर्गत’ विद्याविन्दु सिंह ने विस्तार से लिखा है। मीनाक्षी जोशी ने विद्यापति की प्रेम संबंधी मान्यताओं पर नए सिरे से विचार किया है। सुशील कुमार फुल्ल ने पे्रम कथाओं तथा उसके स्वरूप पर गंभीर विश्लेषण किया है। विजय दान देथा का आलेख राजस्थान व गुजरात में प्रचलित प्रेम की लोक परंपराओं पर प्रकाश डालता है। लोकरंगी प्रेमकथाओं के अंतर्गत प्राचीन लोक प्रचलित कथाओं को ख्यात लेखकों ने नए स्वरूप में इस तरह से प्रस्तुत किया है कि उनकी मौलिकता बनी हुई है तथा रोचकता में अच्छी खासी वृद्धि हुई है। निमोंही(ममता कालिया), महुआ घटवारिन(पंकज सुबीर) एवं नल दमयंती(रांगेय राघव) कहानियां बार बार पढ़ने योग्य हैं। इन रचनाओं का स्वरूप व कथ्य लेखकों ने इस तरह से रचा है कि वह पाठक को बांधे रखता है। लोक कथा के अंतर्गत कुणाल सिंह, ईशान अग्निहोत्री, सुशील सिद्धार्थ व रणेन्द्र ने पुर्नलेखन किया है। लेकिन कहीं कहीं कथाओं पर लेखकीय दृष्टिकोण व विचारधारा का अनावश्यक प्रभाव दिखाई देता है। अनुज, बीरभद्र तलवार, हिमांशु शेखर झा, परदेशी राम वर्मा, भारती राणे, देवव्रत जोशी व शरद पगारे की ऐतिहासिक प्रेमकथा ‘औरंगजेब की प्रेमिका’ मंे पाठक के मनोरंजन के साथ साथ नए सिरे से इन कथाओं की जानकारी होगी। पत्रिका की अन्य रचनाएं व सामग्री भी इसके हर अंक के समान उपयोगी व पठ्नीय है। यह महाविशेषांक हर हिंदी प्रेमी के पढ़ने व संजोकर रखने योग्य है।
जानकारी देने के लिए शुक्रिया !
जवाब देंहटाएंचलिये आपने शुरुआत अच्छी की .. इस जानकारी को और पठनीय बनायें ।
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