
पत्रिका का यह अंक डाॅ. रामस्वरूप उपाध्याय ‘सरस’ की रचनाओं को अपने कलेवर में समेटे हुए है। अंक में विश्वेश्वरशरण पंसारी, पं. प्रदीप शर्मा, मधु हातेकर, प्रभुदयाल मिश्र, रेखा कक्कड़, डाॅ. रमेश चंद्र खरे एवं डाॅ. गार्गीशंकर मराल के चिंतन की धारा पाठकों तक पहुंचाता है। सनातन कुमार वाजपेयी, कुलतार कौर, जसवंत सिंह विरदी, डाॅ. श्याम बिहारी श्रीवास्तव की कविताएं उल्लेखनीय हैं। पत्रिका के अन्य स्थायी स्तंभ व रचनाएं भी इसके प्रत्येक अंक की तरह विविधता लिए हुए हैं।
बहुत मेहनत अक्र्ते है आप, पता नही कहा कहा से इतनी सारी जानकारियां लाते है, हमारे लिये. आप का बहुत बहुत धन्यवाद
जवाब देंहटाएंएक टिप्पणी भेजें