
हिंदी और पंजाबी भाषा में प्रकाशित होने वाली यह पत्रिका अपने आप में अनूठी है। इसमें प्रकाशित रचनाएं राष्ट्रीय एकता, साम्प्रदायिक सदभाव एवं सामाजिक चेतना जगाने के लिए प्रयासरत है। पत्रिका में प्रो. शामलाल कौशल, निशा रेहान तथा रविकांत खरे उन मानवीय संस्कारों, विचारों को विश्लेषित हैं जहां मनुष्य का जीवन प्रारंभ होता है। डाॅ. इन्दु बाली, जसवंत सिंह बिरदी, डाॅ. सुरेश मंथन तथा सुखचैन सिंह भंडारी की कहानियां यर्थाथवाद के धरातल पर मानवीय मूल्यों की स्थापना करती दिखाई देती है। काव्य खण्ड के अंतर्गत सम्मलित की गई रचनाएं राष्ट्रीय एकता व अखंडता को प्रगट करती है। डाॅ. राम आहूजा, नीरज अरोड़ा, डाॅ. मधु संधु की लघुकथाएं समाज के उपेक्षित वर्ग का प्रतिनिधित्व करती है। इन रचनाओं में भी राष्ट्रीयता के दर्शन होते हैं। व्यंग्य लेखों में डाॅ. रामनिवास शर्मा, अखिलेश शुक्ल, शरद तैलंग समाज की कुरीतियों पर प्रहार करते हैं। सिरायकी खण्ड के अतर्गत शामिल की गई रचनाएं स्थानीय साहित्य तथा संस्कृति पर पर्याप्त प्रकाश डालती है। पत्रिका संग्रह योग्य तथा पठ्नीय है।
इतनी सारी हिन्दी पत्रिकाओं के बारे में जानकारी देने के लिए आभार।
ردحذفघुघूती बासूती
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