
प्रायः यह समझा जाता है कि उत्तर भारत तथा दिल्ली में ही हिंदी पर कार्य हो रहा है। इस पत्रिका से केरल में हिंदी भाषा एवं साहित्य पर किये जा रहे शोधात्मक कार्य की जानकारी मिलती है। दक्षिण में हिंदी के प्रति आकर्षण उत्पन्न होना हमारे लिए सुखद है। पत्रिका का प्रथम आलेख जो डॉ. रवीन्द्र कुमार ने लिखा है देश में पत्रकारिता पर पर्याप्त प्रकाश डालता है। डॉ. एम. नारायण रेड्डी ने मोहन राकेश के उपन्यासों में अनुशीलन पर विस्तृत टिपण्णी दी .साधना तोमर, सिद्धेश्वर की कविताएं हिंदी पट्टी के साहित्यकारों की कविताओं के समान गुरूत्व ग्रहण किए हुए हैं। हिंदी भाषा एवं साहित्य के प्रति इस पत्रिका से अनुराग झलकता है। पत्रिका भविष्य में अच्छा साहित्य प्रकाशित करेगी ऐसी आशा है।
meri shubhkamnayen hain uske safal vikaas ke liye ...........
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