पत्रिका: कथाबिंब, अंक: अक्टूबर-दिसम्बर 2011, स्वरूप: त्रैमासिक, संपादक: माधव सक्सेना अरविंद, आवरण/रेखाचित्र: वंशीलाल परमार , पृष्ठ: 64, मूल्य: 15 रू.(वार्षिक 50 रू.), मेल: kathabimb@yahoo.com ,वेबसाईट: www.kathabimb.com , फोन/मोबाईल: 2551.5541, सम्पर्क: -10, बसेरा आॅफ दिनक्वारी रोड़, देवनार, मुम्बई 400088
कथाप्रधान काव्यात्मक पत्रिका के समीक्षित अंक में विचार योग्य कहानियों का प्रकाशन किया गया है। अंक में प्रकाशित कहानियों में कैसे हंसू?(सुशांत सुप्रिय), शायद आसिफ भी यही सोच रहा होगा(रमाकांत शर्मा), टुकड़े टुकड़े कागज(भाग्यश्री गिरी), कंबलदान(प्रशांत कुमार सिन्हा) एवं रामलखन का ... (निरूपमा राय) विशेष हैं। आलोक कुमार सातपुते, आनंद बिल्थरे एवं ज्ञानदेव सुकेश की लघुकथाएं अपना अलग महत्व रखती है। कविताओं ग़ज़लों में घनश्याम अग्रवाल, नसीम अख्तर, दीपक खेतरवाल, अनिल पठानकोठी, अंकित सफर, वीनस केसरी तथा संतोष कुमार तिवारी की रचनाएं प्रभावित करती है। पत्रिका के अन्य स्थायी स्तंभ, समाचार तथा रचनाएं भी नवीनता लिए हुए है।

1 تعليقات

  1. namaskaar akhilesh ji
    abhar sundar sarthak prastutike liye .
    http://sapne-shashi.blogspot.com

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