पत्रिका: कथन, अंक: April -june2011, स्वरूप: त्रैमासिक, संपादक: संज्ञा उपाध्याय, पृष्ठ: 96, मूल्य: 25रू(वार्षिक 100रू.), ई मेल: kathanpatrika@hotmail.com ,वेबसाईट: , फोन/मोबाईल: 011.25268341, सम्पर्क: 107, साक्षरा अपार्टमेंट, ए-3, पश्चिम विहार, नई दिल्ली 110.063

कथन का प्रत्येक अंक अपने आप में विशेषांक होता है। इस अंक मंे राजेश जोशी, मनीषा कुलश्रेष्ठ, जाफर मेंहदी जाफरी व हरजेन्द्र चैधरी की कहानियां प्रकाशित की गई है। मनीषा कुलश्रेष्ठ की कहानी ‘स्यामीज’ विशिष्ठ शिल्प व सुगठित कथानक से पाठकों को बांधे रखती है। अंशु मालवीय को छोड़कर अन्य कवियों की कविताएं अपेक्षित प्रभाव डालने में लगभग असमर्थ रही हैं। तेलुगु कहानी ‘गांव बुलाता है’(अनु. आर.शांता संुदरी) पढ़कर यह नहीं कहा जा सकता है कि यह अनुदित रचना है। हयाशी कुसिको(मछलियों का शहर और हारमोनियम, अनु. जितेन्द्र भाटिया) की जापानी कहानी वहां के कथा साहित्य की विविधता व मौलिकता से परिचय कराती है। वरिष्ठ साहित्यकार लीलाधर मंडलोेई के विचार, ‘किसान को इस समय हाशिये पर फेंक दिया गया है।’(कवि राजेन्द्र शर्मा की कविताओं के मार्फत) कविता के बाजारीकरण का पक्ष न लेने का आग्रह करते हैं। रमेश उपाधया की कथा समीक्षा, नवल अल सादवी का आत्म कथ्य, एजाज अहमद व असगर अली इंजीनियर के आलेख पत्रिका को अन्य पत्रिकाओं से अलग करते विशिष्ठ स्वरूप प्रदान करते हैं। शिवदयाल, अजय कुमार, ज्वारी मल्ल पारख, उत्पल कुमार के स्तंभ की सामग्री में नवीनता है। पत्रिका की अन्य रचनाए, समीक्षाएं भी प्रभावित करती हैं।

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