पत्रिका-कथन, अंंक-जनवरी-मार्च 2013, स्वरूप-त्रैमासिक, संपादक-संज्ञा उपाध्याय, पृष्ठ-96, रेखांकनग्राफिक्स -जानकारी उपलब्ध नहीं, मूल्य-25रू.,(वार्षिक 100रू.), वेवसाइट - NA , फोन : 01125268341, इमेल- kathanpatrika@hotmail.com
पत्रिका कथन का यह अंक अन्य पूर्ववर्ती अंकों के समान उपयोगी व विचारयोग्य रचनाओं से युक्त है। समीक्षित अंक में प्रकाशित आलेख भारतीरय संस्Ñति के निर्माण में विभिन्न जातियों का योग (भगवतशरण उपाध्याय) व कामतानाथ जी पर एकाग्र संस्मरण विशिष्ठ रचनाएं हैं। ख्यात कथाकार व कथन के पूर्व संपादक रमेश उपाध्याय, प्रियदर्शन तथा अनिरूद्ध पाण्डे की कहानियां वर्तमान समय की जरूरतों तथा बदलाव पर विस्तार से प्रकाश डालती है। यश मालवीय, कौशल किशोर, शंकरलाल मीणा, देवयानी भारद्वाज एवं चंद्रशेखर की कविताए भी नवबाजारवाद के आगे लगे प्रश्नचिन्ह व उसके महत्व पर विचार करती है। ख्यात आलोचक मैनेजर पाण्डेय व रमेश उपाध्याय जी विशेष प्रस्तुति पठनीय व ज्ञानवर्धक है। जितेन्द्र भाटिया का कथानुवाद प्रभावित करता है। सुरेन्द्र मनन, जवरीमल्ल पारख, उत्पल कुमार के स्तंभों की जानकारी पत्रिका के पूर्ववर्ती अंकों के समान संग्रह योग्य हैं पत्रिका की अन्य रचनाएं, समीक्षाएं व समाचार आदि भी प्रभावित करते हैं।
, संपर्क : 107, साक्षरा अपार्टमेंटस, ए-3, पशिचम विहार, नर्इ दिल्ली 110063पत्रिका कथन का यह अंक अन्य पूर्ववर्ती अंकों के समान उपयोगी व विचारयोग्य रचनाओं से युक्त है। समीक्षित अंक में प्रकाशित आलेख भारतीरय संस्Ñति के निर्माण में विभिन्न जातियों का योग (भगवतशरण उपाध्याय) व कामतानाथ जी पर एकाग्र संस्मरण विशिष्ठ रचनाएं हैं। ख्यात कथाकार व कथन के पूर्व संपादक रमेश उपाध्याय, प्रियदर्शन तथा अनिरूद्ध पाण्डे की कहानियां वर्तमान समय की जरूरतों तथा बदलाव पर विस्तार से प्रकाश डालती है। यश मालवीय, कौशल किशोर, शंकरलाल मीणा, देवयानी भारद्वाज एवं चंद्रशेखर की कविताए भी नवबाजारवाद के आगे लगे प्रश्नचिन्ह व उसके महत्व पर विचार करती है। ख्यात आलोचक मैनेजर पाण्डेय व रमेश उपाध्याय जी विशेष प्रस्तुति पठनीय व ज्ञानवर्धक है। जितेन्द्र भाटिया का कथानुवाद प्रभावित करता है। सुरेन्द्र मनन, जवरीमल्ल पारख, उत्पल कुमार के स्तंभों की जानकारी पत्रिका के पूर्ववर्ती अंकों के समान संग्रह योग्य हैं पत्रिका की अन्य रचनाएं, समीक्षाएं व समाचार आदि भी प्रभावित करते हैं।
إرسال تعليق