पत्रिका-द्विव्यालोक, अंक-अर्द्धवार्षिक 2012, स्वरूप-वार्षिक, संपादक-जगदीश किंज्लक, पृष्ठ-102, रेखंाकन/ग्राफिक्स -अम्बिका प्रसाद द्विव्य, मूल्य-60रू.,(वार्षिक 120.रू.), वेवसाइट - , फोन: 0755.2494777, ईमेल- , संपर्क: 145ए, साहित्य सदन, सांईनाथ नगर, सी सेक्टर, कोलार भोपाल म.प्र.
ख्यात साहित्यकार, लेखक समीक्षक व नाटककार स्व. श्री अम्बिका प्रसाद द्विव्य जी की स्मृति मंे वर्ष में दो बार प्रकाशित होने वाली इस पत्रिका का स्वरूप पूरी तरह से साहित्यिक है। इस अंक में इंदिरा दांगी, निरूपमा राय, कमल कपूर एवं स्वाति तिवारी की मार्मिक कहानियों का प्रकाशन किया गया है। प्रेम जनमेजय, बृजकिशोर पटेल व एम.एल खरे के व्यंग्य प्रभावित करते हैं। सुधा ओम ढीगरा, पदमा सिंह, आशमा कौल, कैलाश पचैरी, शैलेन्द्र शर्मा एवं यतीन्द्र नाथ राही की कविताएं भी समसामयिक व मंथन योग्य हैं। अजय अज्ञान एवं आशीष दशोतर की ग़ज़लें विशेष रूप से प्रभावित करती है। पत्रिका की अन्य रचनाएं समीक्षाएं भी अच्छी व रोचक हैं।
ख्यात साहित्यकार, लेखक समीक्षक व नाटककार स्व. श्री अम्बिका प्रसाद द्विव्य जी की स्मृति मंे वर्ष में दो बार प्रकाशित होने वाली इस पत्रिका का स्वरूप पूरी तरह से साहित्यिक है। इस अंक में इंदिरा दांगी, निरूपमा राय, कमल कपूर एवं स्वाति तिवारी की मार्मिक कहानियों का प्रकाशन किया गया है। प्रेम जनमेजय, बृजकिशोर पटेल व एम.एल खरे के व्यंग्य प्रभावित करते हैं। सुधा ओम ढीगरा, पदमा सिंह, आशमा कौल, कैलाश पचैरी, शैलेन्द्र शर्मा एवं यतीन्द्र नाथ राही की कविताएं भी समसामयिक व मंथन योग्य हैं। अजय अज्ञान एवं आशीष दशोतर की ग़ज़लें विशेष रूप से प्रभावित करती है। पत्रिका की अन्य रचनाएं समीक्षाएं भी अच्छी व रोचक हैं।
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