पत्रिका: हिंदुस्तानी जबान, अंक: जून 2012, स्वरूप: त्रैमासिक, संपादक: माधुरी छेड़ा, आवरण/रेखाचित्र: जानकारी उपलब्ध नहीं, पृष्ठ: 64, मूल्य: 20रू.(वार्षिक 80रू.), ई मेल: ,वेबसाईट: उपलब्ध नहीं , फोन/मोबाईल: 22810126, सम्पर्क: महात्मा गाॅधी मेमोरियल रिसर्च सेंटर, महात्मा गाॅधी बिल्ंिड़ग, 7 नेताजी सुभाष रोड़, मुम्बई महाराष्ट्र
साहित्य जगत में हिंदी व उर्दू जबान में एकसाथ प्रकाशित की जा रही इस पत्रिका के प्रत्येक अंक में गाॅधीवादी साहित्य से संबंधित सामग्री का प्रमुख रूप से प्रकाशन किया जाता है। समीक्षित अंक में उषा ठक्कर, सकीना अख्तर, शुलभ चैरे तथा रवीन्द्र कात्यायन के आलेख विशेष रूप से प्रभावित करते हैं। सुरिन्दर नीर की कहानी लवासे एक अच्छी पृष्ठभूमि पर रचे बनुे गए कथानक युक्त रचना है। रहमान राही, अर्श सहबाई, पद्मासचदेव तथा सौरभ साईकिया की कविताएं गाॅधीवादी दृष्टिकोण को विस्तार देने में सफल हैं। पत्रिका के उर्दू खण्ड की रचनाएं भी उच्च कोटि की हैं तथा हिंदी के साथ साथ उर्दू साहित्य का प्रतिनिधित्व करती हैं।
साहित्य जगत में हिंदी व उर्दू जबान में एकसाथ प्रकाशित की जा रही इस पत्रिका के प्रत्येक अंक में गाॅधीवादी साहित्य से संबंधित सामग्री का प्रमुख रूप से प्रकाशन किया जाता है। समीक्षित अंक में उषा ठक्कर, सकीना अख्तर, शुलभ चैरे तथा रवीन्द्र कात्यायन के आलेख विशेष रूप से प्रभावित करते हैं। सुरिन्दर नीर की कहानी लवासे एक अच्छी पृष्ठभूमि पर रचे बनुे गए कथानक युक्त रचना है। रहमान राही, अर्श सहबाई, पद्मासचदेव तथा सौरभ साईकिया की कविताएं गाॅधीवादी दृष्टिकोण को विस्तार देने में सफल हैं। पत्रिका के उर्दू खण्ड की रचनाएं भी उच्च कोटि की हैं तथा हिंदी के साथ साथ उर्दू साहित्य का प्रतिनिधित्व करती हैं।
जानकारी देने के लिए धन्यवाद!
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