पत्रिका: संबांधन, अंक: अप्रैल-जून 2012, स्वरूप: त्रैमासिक, संपादक: कमचर मेवाड़ी, आवरण/रेखाचित्र: मीना पुरवार, पृष्ठ: 64, मूल्य: 20रू.(वार्षिक 80रू.), ई मेल: ,वेबसाईट: उपलब्ध नहीं , फोन/मोबाईल: 02962.223221, सम्पर्क: संबोधन त्रैमासिक, पोस्ट कांकरोली, जिला राजसमंद, राजस्थान
46 वर्ष पुरानी पत्रिका संबांधन का समीक्षित अंक साहित्य की श्रेष्ठतम रचनाओं से युक्त है। अंक में महेन्द्र नेह, मकबूल फिदा हुसैन तथा नूर मोहम्मद नूर की कविताएं समाज के उस वर्ग का प्रतिनिधित्व करती है जिसपर प्रायः कम ही ध्यान दिया जाता है। प्रशंगवश के अंतर्गत विमर्शो के चक्रवात मंे तीन नाम आलेख जानकारीपरक है। राजस्थान साहित्य अकादमी के अध्यक्ष वेद व्यास से हुसैनी बोहरा की बातचीत साहित्य के संदर्भो की जांच पड़ताल करती है। कृष्णा अग्निीहोत्री की डायरी के पृष्ठ पाठकों को अपने से जान पड़ते हैं। सतीश दुबे की कहानी व शमोएल अहमद का संस्मरण स्तरीय व पठनीय है। इंदिरा दांगी कहानी की कहानी करिश्मा ब्यूटी पार्लर नवसमाज की विसंगतियों की ओर संकेत कर उनपर प्रहार करती है। अख्तर यूसूफ की कविताएं भी पत्रिका के कलेवर का सहजता व सरसता प्रदान करती है। पत्रिका की अन्य रचनाएं, समीक्षाएं व आलेख व उल्लेखनीय हैं।
إرسال تعليق